

बिहार(सुपौल)ओम एक्सप्रेस- दुनियां में हाहाकार मचा चुके कोरोना वायरस के मद्देनजर व सरकार के लॉकडाउन एवं जिला प्रशासन सुपौल के दिशा-निर्देशों का शत-प्रतिशत पालन करते हुए शनिवार को फेसबुक मित्रों तथा वाट्सएप साथियों के साथ ज्योतिबा फुले की 93 वीं जयंती म लोहिया यूथ ब्रिगेड के प्रदेश संयोजक डॉ. अमन कुमार ने कहा कि ज्योतिराव गोविंदराव फुले भारत के महान विचारक, समाज सुधारक, लेखक, सर्वश्रेष्ठ अग्रदूत, प्रेरणाश्रोत और दार्शनिक थे। इनका जन्म 11 अप्रैल, 1827 को हुआ था। समाज में महिलाओं के उत्थान के लिए उन्होंने काफी कार्य किए। इतना ही नहीं उन्होंने महिलाओं के लिए देश का पहला महिला शिक्षा स्कूल खोला था।


वे जातिगत आधारित विभाजन और भेदभाव के कट्टर दुश्मन थे। उन्होंने अपनी पत्नी को सावित्री बाई फुले को पढ़ाया तथा उन्हें दूसरों को पढ़ाने के लिए प्रेरित की! सावित्रीबाई फुले आगे चलकर देश की पहली प्रशिक्षित महिला अध्यापिका बनीं। डॉ. कुमार ने कहा कि 1888 में ज्योतिबा फुले को ‘महात्मा’ की उपाधि दी गई थी। वे किसान के अस्त-व्यस्त जीवन के लिए आर्थिक असमानता को जिम्मेदार मानते थे! वे पुरुष-नारी सहित सभी वर्गों व धर्मों के लिए शिक्षा अनिवार्यता के पक्ष में थे! वे अल्ला-ईश्वर को एक मानते थे और मानव को उनकी संतान मानते थे! ज्योतिबा फुले के विचारों का वर्णन करना सूर्य को दीपक दिखाने के समान है! ज्योतिबा फुले जाति विहीन समाज के स्थापना के पक्षधर थे! इसे साकार करने के लिए 1873 में सत्य शोधक समाज नामक संस्था की स्थापना की थी!
