-धार्मिक ग्रंथो के अनुवाद में साझा संस्कृति को समृद्ध किया है : रंगा
बीकानेर,।प्रज्ञालय संस्थान बीकानेर द्वारा आज बादशाह हुसैन राणा लखनवी द्वारा रचित उर्दू रामायण के संदर्भ में ‘उर्दू रामायण हमारी सांस्कृतिक विरासत’ विषय से एक साहित्यिक व्याख्यानमाला एवं विमर्श का कार्यक्रम सांखला साहित्य सदन रानी बाजार में संपन्न हुआ।
प्रज्ञालय संस्थान के राजेश रंगा ने बताया कि संस्थान द्वारा हमेशा ही नवाचार को प्रोत्साहन दिया जाता है । इसी क्रम में आज का कार्यक्रम नवाचार लिए हुए था।
कार्यक्रम की अध्यक्षता उर्दू के वरिष्ठ शाइर ज़ाकिर अदीब ने करते हुए कहा कि साहित्य एवं साहित्यकार ही संस्कृति के संरक्षण में मुख्य भूमिका निभा रहे हैं। बीकानेर की साझा संस्कृति बेमिसाल है जिसकी मिसाल पूरे हिंदुस्तान में दी जाती है। ज़ाकिर अदीब ने रामायण के महत्वपूर्ण अंशों का बेहतरीन वाचन करके समस्त श्रोताओं को लुत्फ़अंदोज़ कर दिया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ कवि कथाकार कमल रंगा ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा में हमारे साहित्यिक और धार्मिक ग्रंथों का अनुवाद जहां भाषाई अपनत्व को दर्शाता है वही हमारी साझा संस्कृति की समृद्ध परंपरा को आगे बढ़ता है। इस काम में विशेष तौर से रामायण को लेकर हमारे मुस्लिम शाइरों ने जो अनुवाद किया है वह अनुपम एवं महत्वपूर्ण है।
रंगा ने आगे कहा कि बादशाह हुसैन राणा की 1935 में रचित उर्दू रामायण को आगे विभिन्न भारतीय भाषाओं के माध्यम से अनुवाद कर एक नवाचार किया जाएगा।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ शायर कहानीकार क़ासिम बीकानेरी ने कहा कि हमारी भारतीय संस्कृति की जड़ें बहुत गहरी हैं और हमारे साहित्यकार इन सांस्कृतिक जड़ों को पोषण देने में अपना अमूल्य योगदान दे रहे हैं। प्रज्ञालय संस्थान ने आज के आयोजन के माध्यम से सामाजिक एवं साझा संस्कृति की जड़ों को सींचने का महत्वपूर्ण काम किया है। क़ासिम बीकानेरी ने उर्दू रामायण के महत्वपूर्ण अंशों का वाचन करके श्रोताओं से भरपूर वाह वाही लूटी।
राजेश रंगा ने बताया कि कार्यक्रम में संस्कृतिकर्मी संजय सांखला एवं कवि जुगल किशोर पुरोहित ने उर्दू रामायण का वाचन करके श्रोताओं से भरपूर तारीफ़ें पाई।
कार्यक्रम के आरंभ में सभी आगंतुकों का स्वागत करते हुए संस्कृतिकर्मी संजय सांखला ने कहा कि बीकानेर साहित्यिक एवं सांस्कृतिक क्षेत्र में अग्रणी स्थान रखता है। प्रज्ञालय संस्थान का आयोजन साझा संस्कृति को मज़बूत बनाने में अहम भूमिका निभाएगा।
कार्यक्रम में शाइर मोहम्मद इस्हाक़ ग़ौरी, शाइर मोइनुद्दीन मुईन, उर्दू व्याख्याता सईद अहमद, महेश उपाध्याय, मोहम्मद सिद्दीक़, संस्कृति कर्मी मुनींद्र अग्निहोत्री, हरि नारायण आचार्य मौजूद थे। कार्यक्रम का सरस संचालक कवि गिरिराज पारीक ने किया जबकि आभार संस्कृतिकर्मी डॉ. मोहम्मद फारुक़ चौहान ने किया।