बीकानेर /माना जाता है स्त्री को सुरक्षा की जरूरत है, परिवर्तन का दौर है लेकिन आज आवश्यकता है उस खुलेपन की जिसमें स्त्री पुरूष का सम्बन्ध एक व्यक्ति के रूप में पहचाना जाए। सफल स्त्री को अक्सर समाज अपने बूते पर सफल न मानकर अक्सर उसके पीछे किसी पुरूष के सहारे की बात उठाता है जो कि चिंतनीय है। हिजड़ा शब्द गाली के रूप में प्रयोग में लिया जाता है इससे बार-बार यह चिंतन उभरता है कि थर्ड जेडर के प्रति समाज में संवेदना का अभाव है। यह विचार व्यक्त किए सेंटर फाॅर वूमेन स्टडीज की राष्ट्रीय संगोष्ठी के बीज वक्ता डाॅ. अनन्त भटनागर ने मुख्य अतिथि ज्योतिष जोशी ने कहा कि आज इस देश में अचानक ऐसा क्या हो गया जो मनुष्यता और मानव संेवदना पर सवालिया प्रश्न तेजी से उभर रहे है महिला के आत्मनिर्भरता उसकी आर्थिक स्वतत्रंता पर आधारित है महिला तभी सशक्त कहलायेगी जब समाज उसके निणर्य लेने की स्वत्रतंता को मानयता देगा। इससे पूर्व दीप प्रज्ज्वलन के पश्चात सेमिनार डायरेक्टर डाॅ. मेघना शर्मा ने अतिथियों का स्वागत करते हुए समाज में सभी लिंगों को समानता से देखे जाने की आवश्यकता पर बल दिया। कार्यक्रम अध्यक्ष कुलपति डाॅ. भगीरथ सिंह ने कहा कि मंचों पर अक्सर सभी कृत्रिम व्यक्तितव लेकर बात करते हंै। उन्होंने चिंता जताई कि निर्भया एक्ट बनने के बाद व शिक्षा का अत्यधिक प्रचार प्रसार होने के बावजूद दुष्र्कम की घटनाएं बढ़ी है। कुरूक्षेत्र की डाॅ. शालिनी शर्मा ने अपने उद्बोधन में कहा कि लिंग समानता की बात करने से आज डर लगने लगा है क्योंकि घटनाएं जितनी तेजी से करवट बदल रही है ऐसे परिवेश में स्त्री आरम्भ से ही प्रश्नचिहृन समाज द्वारा थोपे गये है। वह वर्जनाओं और प्रतिबंधों के साथ ही पैदा हुई प्रतीत होती है।
उद्घाटन सत्र में ध्न्यवाद ज्ञापन देते हुए समीनार समन्यवक डाॅ. प्रशान्त बिस्सा ने विषय को समसामयिक बताया और उसके चिंतन मंथन के पश्चात् निश्चित रूप से निष्कर्ष निकालकर युवा पीढ़ी को इस उद्देश्य से जोड़ने को समीचीन बताया।
चार तकनीकी सत्रों मंे लिंग समानता महिलाओं को न्याय, यौन शोषण, घरेलू हिंसा आदि विषयों पर लगभग 75 पत्रों का वाचन किया गया। अतिथियों द्वारा विद्यार्थियों द्वारा विषय आधारित पोस्टर प्रदर्शनी को भी लोकार्पण किया गया । समापन सत्र मंे आयोजन सचिव डाॅ. समीक्षा व्यास ने संगोष्ठी की एक रिपोर्ट प्रस्तुत की। मुख्य अतिथि दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. अनु मेहरा ने विधि में महिला के स्थान को इंगित किया तो वहीं रोहतक विश्वविद्यालय के प्रो. भूपसिंह गौड़ ने लिंग सवेंदीकरण को वैश्विक समस्या बताया। विशिष्ठ अतिथि मधु खंडेलवाल ने साहित्य के माध्यम से समाज को विषय पर नवीन दृष्टि विकसित करने की आवश्यकता पर बल दिया। कार्यक्रम अध्यक्ष मधु आचार्य आशावादी ने महिला पुरूष समानता को वक्त की जरूरत बताया। सत्राध्यक्षों की भूमिका ने डाॅ. बृजरतन जोशी, डाॅ. अनिला पुरोहित, डाॅ. सीमा शर्मा, डाॅ. सुचिता कश्यप, डाॅ मिनाक्षी खंगारोत, डाॅ. गरीमा प्रजापत आदि रहें। कार्यक्रम का संचालन ज्योती प्रकाश रंगा ने किया।
सेमिनार आयोजन समिति में डाॅ. गौरीशंकर प्रजापत, डाॅ. दिनेश कुमार सेवग, डाॅ. यज्ञेश नारायण पुरोहित, श्री राजकुमार पुरोहित, श्री राजेश पुरोहित, डाॅ. गोपाल कृष्ण व्यास, डाॅ. प्रीति सक्सेना, डाॅ. मनीषा गांधी, डाॅ. चित्रा आचार्य, डाॅ. मुकेश किराडू, श्रीमती नीतू बिस्सा, श्रीमती रश्मि हर्ष, डाॅ. रश्मि आचार्य, डाॅ. पूनम वाघवानी, हेमा पारीक, श्रीमती ममता पुरोहित, श्रीमती दीपा हर्ष, योगिता आचार्य, श्री बलदेव शर्मा, श्री मुकेश् पुरोहित, श्री अरविन्द स्वामी, श्री अमित पारीक, श्री गोवर्धन भादाणी एवं समस्त महाविद्यालय परिवार ने हिस्सा लिया।