

ममता कालिया को वेदव्यास और फारूक आफरीदी को भगवती प्रसाद अवस्थी साहित्य रत्न सम्मान
इंडिया नेटबुक्स वार्षिक साहित्य सम्मान समारोह: देश-विदेश के कई साहित्यकार सम्मानित
नई दिल्ली, । हिंदी भवन के सभागार में इंडिया नेटबुक्स और बीपी फाउंडेशन के वार्षिक साहित्य सम्मान समारोह में वरिष्ठ साहित्यकार ममता कालिया को उनके समग्र साहित्य के लिए “वेद व्यास सम्मान” और वरिष्ठ व्यंग्यकार फारूक आफरीदी को उनके साहित्यिक अवदान के लिए “बद्रीप्रसाद अवस्थी साहित्य रत्न सम्मान” प्रदान किया गया। इस अवसर पर साहित्य, कला, संस्कृति, शिक्षा, समाज सेवा सहित अन्य क्षेत्रों में सक्रिय कुल 28 लोगों को पुरस्कार प्रदान किया गया। इसमें बाल साहित्यकार तन्वी कुंद्रा भी शामिल हैं।
ममता कालिया ने कहा कि हमें यदि अच्छा और निर्भय समाज बनाना है तो साहित्यकारों को भी अपनी दृष्टि व्यापक बनानी होगी। हिंदी में बहुत अच्छा लिखा जा रहा है, लेकिन उसका सही अनुवाद विश्व के अन्य देशों तक नहीं पहुंच पा रहा है। इसीलिए हमारे लेखन से विश्व परिचित नहीं है। हमें स्तरीय अनुवाद पर जोर देना चाहिए ताकि बड़े स्तर पर हिंदी साहित्य की पहुंच बने।
वरिष्ठ व्यंग्यकार और कवि फारूक आफरीदी ने कहा कि इतने कम समय में किसी को इतनी प्रसिद्धि नहीं मिलती जितनी इंडिया नेटबुक्स को मिली है। उन्होंने कहा कि इंडिया नेटबुक्स द्वारा नए लोगों को प्रोत्साहित करना एक बेहद सराहनीय पहल है।प्रकाशकों द्वारा साहित्यकारों के सम्मान की योजना अपने आप में अनुकरणीय है।
वरिष्ठ साहित्यकार शशि सहगल ने कहा कि डॉ. संजीव स्वयं एक संवेदनशील कवि हैं और उन्होंने साहित्यकारों को अपने संस्थान से जोड़ने का बड़ा काम किया है। वरिष्ठ व्यंग्यकार डॉ प्रेम जनमेजय ने कहा कि यह अजीब प्रवृति बन गई है कि सम्मान जब अपने को मिलता है तो बड़ा अच्छा लगता है और किसी और को मिलता है तो जुगाड़ लगता है। उन्होंने कहाकि व्यंग्य की स्वीकार्यता निरंतर बढ़ रही है। व्यंग्य विमर्श पर रवीन्द्रनाथ त्यागी सम्मान के बाद जल्दी ही धर्मवीर भारती स्मृति व्यंग्य सम्मान शुरु किया जाएगा। बच्चों के लिखे साहित्य पर इंडिया नेटबुक्स ने बहुत काम किया है। डॉ.संजीव कुमार ने इंडिया नेटबुक्स के माध्यम से एक बड़ा परिवार बना लिया है और सबको जोड़ने की इनकी ताकत अद्भुत है।
वरिष्ठ साहित्यकार डॉ.प्रताप सहगल ने कहा कि अंतर्मन में झांकना ही साहित्य है। पुरस्कार शब्द बड़ा भ्रामक है। इसे सम्मान कहना चाहिए। उन्होंने कहा कि एक लेखक का ‘रेबेल’ होना जरूरी है। लेखक अनुपस्थिति की खोज करता है। साहित्य मनुष्य की खोज करता है, वह ईश्वर की खोज नहीं करता। उन्होंने कहा कि जहां धार्मिक किताबों की सीमा समाप्त होती है, साहित्य और साहित्यकार का काम वहां से शुरू होता है। बीपीए फाउंडेशन की निदेशक कामिनी मिश्रा ने घर परिवार के पीछे छूटते जाने पर चिंता जाहिर की और कहा कि हम सबको समाज को एक नई दिशा देने के लिए अपनी भूमिका निभानी होगी।
इंडिया नेटबुक्स परिवार के अध्यक्ष ए्वं प्रबंध निदेशक डॉ.संजीवकुमार ने प्रकाशन संस्थान, बीपी फाउंडेशन एवं अन्य अनुषंगी संस्थानों की गतिविधियों का परिचय देते हुए कहा कि अब इंडिया नेटबुक्स विश्वस्तर पर उपलब्ध है और प्रवासी भारतीयों के साहित्य का प्रकाशन किया जा रहा है। कोरोना जैसी भयावह आपदा के विकट समय में भी हमने कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं पर काम किया है ।
इस अवसर पर सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार डॉ.गिरिराज शरण अग्रवाल ने कहा कि समाज को दिशा देने का काम साहित्यकार द्वारा किया जाना चाहिए। भाषाविद एवं आलोचक डॉ. राजेश कुमार ने कहा कि साहित्य लिखना बड़ी जिम्मेदारी का काम है। उन्होंने कहा कि पुरस्कार एक प्रेरक का कार्य करता है।

