

-बिना एक्सपायरी के जीवन रक्षक दवाइयों को अस्पताल प्रशासन ने फेका,
-सिविल सर्जन ने कि जांच टीम गठित …
– त्रिवेणीगंज अनुमंडलीय अस्पताल का मामला
बिहार(सुपौल)-(कोशी ब्यूरों)-जिले के त्रिवेणीगंज अनुमंडलीय अस्पताल में मरीजों को भले ही दवा न मिले। लेकिन कई मर्ज की दवा को फेंके जाने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। इसे क्या कहे कर्मचारियों की लापरवाही या पदाधिकारियों की उपेक्षापूर्ण नीति। जिसके कारण स्थिति यहां तक आ पहुंची है कि मरीजों को दिया जाने वाला दवा कचड़े के ढेर में फेंका पड़ा हुआ है। रोगी को बाहर से दवा लेकर इलाज कराने को मजबूर है। लेकिन अस्पताल प्रबंधन ऐसी गलतियां करने से बाज नहीं आ रहा है।


सुपौल जिले कुपोषण के मामले में राज्य में पहले स्थान पर है तो इधर स्वास्थ्य व्यवस्था के कारनामे इसे बढ़ाने में अपना बेहतर योगदान दे रही है। त्रिवेणीगंज अनुमंडल अस्पताल,जहां लाखो की जीवन रक्षक दवा को बिना एक्सपायरी के ही फेका जा रहा है।फेंकी जा रही दवाओं में आयरन की सिरप और स्लाइन की बोतलें है।आयरन की सिरप 2021 में एक्सपायर होंगी तो लाखों की स्लाइन की बोतलें एक्सपायर हो चुकी है।दरअसल त्रिवेणीगंज अनुमंडलीय अस्पताल को अपना भवन नहीं है लिहाजा अस्पताल के भवन निर्माण के लिए टेंडर होने के बाद अस्पताल के नए भवन का निर्माण शुरू हुआ है जिसको लेकर अस्पताल के पुराने जर्जर भवन को तोड़ने का कार्य चल रहा है।पुराने जर्जर अस्पताल के भवन में जो दवाइयां रखी गई थी, उसे कचरे में फेकने का काम शुरू कर दिया गया है ।वही त्रिवेणीगंज अस्पताल के मैनेजर प्रेमरंजन से जब इस बाबत कई बार पूछा गया तो मैनेजर ने चुप्पी साध ली।अनुमंडलीय अस्पताल के लिए यह कोई नई बात नहीं है।आज से तकरीबन 10 से 12 वर्ष पूर्व भी लाखों रुपये की दवाई आग के हवाले की जा रही थी जिसे स्थानीय लोगों ने उजागर किया था।
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मामला संज्ञान में आया है।जांच हेतु जांच टीम गठित की गई है।
सिविल सर्जन सुपौल
कृष्णमोहन प्रसाद
