इसमें दो राय नहीं है कि अर्नब गोस्वामी की गिरफ्तारी राजनीति से प्रेरित हो सकती है और अगर महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी की सरकार होती तो सवाल ही नहीं पैदा होता अर्णब की गिरफ्तारी का। मगर आज मैं कुछ सवाल आपके सामने रखना चाहूंगा। क्या हम उस परिवार को भूल सकते हैं जिसके परिवार के सदस्य को आत्महत्या करने के लिए उकसाने का आरोप अर्णब पर है? यह मामला आपराधिक मामला है। इसका विचारों की अभिव्यक्ति से कोई लेना देना नहीं है। आज की तारीख में कई भारतीय जनता पार्टी के नेता इसे आपातकाल से जोड़ रहे हैं, इससे अभिव्यक्ति की आजादी के खिलाफ बता रहे हैं। मगर मैं आपको ढेरों मिसालें दे सकता हूं जहां पत्रकारों के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया। केरल से हाथरस आने वाले पत्रकारों के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज कर दिया जाता है। गुजरात के पत्रकार पर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज कर दिया जाता है सिर्फ इसलिए के उसने लिखा के गुजरात के सीएम के काम से बीजेपी खुश नहीं।
जो पत्रकार मिड डे मील स्कीम में गड़बड़झाला की खबर करता है, उसके खिलाफ एफ आई आर दर्ज कर दिया जाता है। पत्रकारों की नौकरियां भारतीय जनता पार्टी के कहने पर चली जाती हैं। आपके सामने ऐसी ढेरों में मिसाले हैं और यही नहीं अर्णब गोस्वामी ने खुद रिया चक्रवर्ती के खिलाफ एक बहुत ही घिनौना और झूठा अभियान चलाया था। आज रिया चक्रवर्ती खिलाफ कोई भी आरोप सिद्ध नहीं हुआ है, मगर उस को जेल भेजा गया था क्योंकि अर्नब गोस्वामी के चैनल ने उसके खिलाफ एक झूठा अभियान चलाया था। यकीनन अर्नब गोस्वामी के खिलाफ जो महाराष्ट्र सरकार की कार्रवाई है वह राजनीति से प्रेरित हो सकती है। मगर जो काम अर्णब अपने स्टूडियो में बैठकर किया करता था और लोगों के खिलाफ भड़काता था, उसके साथ वही हो रहा है। ये ना भूलें। ज़मीन पर काम करने वाले कई पत्रकार जेल भेज दिए जाते हैं। गौरी लंकेश की हत्या कर दी जाती है। कुछ लोग तालियां तक बजाते हैं। ये ना भूलें।