बीकानेर,(हेम शर्मा ),बीकानेर के सांसद और केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल अपने लोकसभा कार्यकाल के तीन टर्म पूरे करने वाले है। उनका अपना बीकानेर संसदीय क्षेत्र के विकास का 15 वर्षों में जनता के सामने विजन उभरकर सामने नहीं आ सका है। अगले लोकसभा चुनाव नजदीक हैं। इससे पहले वे कांग्रेस के रेवन्त राम पवार, शंकर पन्नू और मदन मेघवाल को चुनाव हराकर संसद में पहुंचे हैं। मेघवाल भारत सरकार में वित्त राज्य मंत्री, उद्योग, जल संसाधन, संसदीय कार्य मंत्री रहे हैं और अभी कानून मंत्री है। राजस्थान और बीकानेर में केंद्र सरकार की योजना से रेल, राष्ट्रीय सड़क मार्ग, गैस पाइप लाइन, हवाई सेवाओं का विस्तार जैसे काम भारत सरकार की समग्र विकास योजनाओं का हिस्सा रहा है। मेघवाल अपने संसदीय क्षेत्र के विकास कार्यों में भारत सरकार की योजनाओं के कामों को अपनी उपलब्धियां बताकर गिना रहे हैं। संसदीय क्षेत्र में सांसद के निजी प्रयासों से विकास की उपलब्धियों का ग्राफ भारत सरकार में मंत्री रहते हुए भी नगण्य है। सुखा बंदरगाह, टेक्सटाइल पार्क, सिरेमिक्स हब, मेगा फूड पार्क, नया औद्योगिक क्षेत्र, बड़ी औद्योगिक इकाई या कोई बड़ा प्रोजेक्ट नहीं ला पाए। और तो और आईसीएआर की सैद्दान्तिक स्वीकृति के बावजूद बीकानेर में केंद्रीय कृषि वि वि नहीं खुलवा सके। बीकानेर संसदीय क्षेत्र में जनता के सामने विकास की मद में उनके पास गिनाने को केंद्र सरकार के ही काम है। अभी तक अर्जुन राम मेघवाल ने खुद का वो आभा मंडल नहीं बनाया कि खुद के बलबूते चुनाव जीत सके। जनता में मेघवाल के प्रति कितना आकर्षण है स्थितियां साफ है। मोदी का कवच आज भी उनको ढाल देता है। 2024 के चुनाव में भी यह माना जा रहा है कि मोदी के आभा मंडल से राजस्थान में लोकसभा की सभी 25 सीटें भाजपा के खाते में जाएगी। बेशक अर्जुन राम भी चुनाव जीत सकेंगे, परंतु मोदी के बूते। अर्जुन राम धरती से जुड़े उन लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं जिन्होंने आजादी के बाद कठिन परिस्थितियों में खुद को आगे बढ़ाया। देश में उस पीढ़ी के लोग मेहनत और संघर्ष से ही आगे बढ़े हैं। उसमें मेघवाल भी है। वे समकालीन भारतीय पारिवारिक और सामाजिक हालातों का भी प्रतिनिधित्व करते हैं। इस मायने में वे धरातल के आदमी है। प्रशासनिक सेवा से राजनीति में आकर उन्होंने भाजपा और केंद्र सरकार में जो भी किया इससे उनकी पार्टी और सरकार में पैठ बढ़ी है। फिर भी बीकानेर संसदीय क्षेत्र में वे अपना सिक्का नहीं जमां पाए है। पार्टी के केडर से लेकर आम कार्यकर्ता और मतदाता पर उनकी पकड़ नहीं है। उनको पार्टी में चाहने वालों के अपने निहितार्थ है। मतदाताओं को तो भाजपा और मोदी का आकर्षण है वहां अर्जुन राम हो या कोई और मायने नहीं है। अर्जुन राम मेघवाल को भाजपा और मोदी सरकार ने अच्छा मौका दिया परंतु वे इस मौके से अपने संसदीय क्षेत्र में खुद को स्थापित नहीं कर पाए। लोकसभा चुनाव की घोषणा होने वाली है। मोदी का नारा भाजपा इस बार चार सौ पार। इस नारे में अबकी बार फिर अर्जुन राम की जीत भी समाहित है। मेघवाल अपनी संसदीय क्षेत्र की जनता के मनों में वैसे नहीं बस पा रहे हैं _जैसे मोदी पूरे देश की जनता के मन में बस गए हैं।