सवांददाता, के,के,कुशवाहा
आगरा। लॉकडाउन कार्यकाल का फायदा उठाकर अवैध निर्माणकर्ताओं ने रातों-रात आलीशान बिल्डिंग खड़ी कर दी और यह सब एडीए की नाक के नीचे हो गया। हैरत की बात यह है कि अवैध निर्माण की जानकारी होने के बाद भी एडीए के अधिकारी आंख मूंदें बैठे हुए हैं और सवाल किए जाने पर गोलमोल जवाब दे रहे हैं।
बताते चलें कि शहर के अंदर सबसे ज्यादा अवैध निर्माण शाहगंज जोन में हुए हैं जिसमें अर्जुन नगर, नरीपुरा, खेरिया मोड़ इलाका शामिल है। लॉकडाउन कार्यकाल में रातों-रात आलीशान बिल्डिंग खड़ी करने वाले अवैध निर्माणकर्ताओं के आगे आगरा विकास प्राधिकरण नतमस्तक नजर आ रहा है। एक दर्जन से ज्यादा आलीशान बिल्डिंगों को खड़ा कर दिया गया। इन अवैध निर्माण के सवाल पर आगरा विकास प्राधिकरण विभाग में तैनात जेई विजेंद्र सिंह का बेतुका बयान सामने आया है।
जब अवैध निर्माण करने वाले लोगों के बारे में मीडिया ने जानकारी जुटाना चाही तो साहब विजेंद्र सिंह ने कहा कि हमारे पास कोई भी डाटा नहीं है और न ही हमने किसी भी अवैध निर्माणकर्ताओं को लॉकडाउन के कार्यकाल में नोटिस दिया। विजेंद्र सिंह ने कहा कि हमारे पर काम का लोड है। आईजीआरएस से लेकर ऑफिस के तमाम काम देखने होते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि काम का भार अधिक होने से क्या अवैध निर्माणकर्ताओं को एडीए ने खुली छूट दे रखी है। ऐसे में जेई विजेंद्र सिंह की भूमिका सवालों के घेरे में आ गई है।
यह कोई पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी आगरा विकास प्राधिकरण के अधिकारियों पर तमाम भ्रष्टाचार के आरोप लगे। जेई और एक्सईएन स्तर के अधिकारियों ने जेब गर्म कर रातों रात बिना नक्शे के आलीशान बिल्डिंगों को खड़ा करा दिया लेकिन मामला उच्चाधिकारियों के पास पहुंचने के बाद कार्यवाही की गई।
इस मामले को देखकर साफ है कि एडीए की कथनी और करनी में अंतर है। एडीए आम और खास के लिए अलग-अलग नियम कायदे और कानून बना रहा है। जब एक आम आदमी के लिए अवैध निर्माण पर तत्काल कार्यवाही करता है तो अवैध निर्माणकर्ताओं को एडीए ने खुली छूट कैसे दे दी। बहरहाल देखना होगा कि इस मामले में उच्च अधिकारी क्या कार्यवाही करते हैं।