-कई कॉम्पलेक्स में निगम के इस बाबू की हिस्सेदारी, सील लगने में भी इसकी भूमिका संदिग्ध
जयपुर। सीकर हाउस कपड़ा मार्केट में अवैध निर्माण के पीछे जयपुर नगर निगम के एक बाबू का हाथ है। अब सील खुलने के पीछे किसका हाथ है यह अभी तक सामने नहीं आ पाया है। शक की सुई उसी बाबू पर जाकर टिक रही है।
गौरतलब है 4 व 5 सितंबर के अंक में हमने इस संबंध में समाचार प्रमुखता से प्रकाशित किए। समाचार प्रकाशित होने के बाद हड़कंप तो काफी मचा, लेकिन इस बीच कई दलाल बीच में कूद पड़े। सभी को फिक्र व्यवस्था होने की या चिंता उस बाबू की जो कुछ दिनों के लिए दूसरे जोन में चला गया।
सूत्रों की मानें तो यह बाबू बड़ा पावरफुल है और खुद की इच्छा से मनचाहे जोन व मनचाही सीट पर जाकर टिकता है। जैसे ही कोई विवाद होता है, कुछ दिनों के लिए दूसरे जोन में चला जाता है। मामला शांत होते ही वापस इसी जोन में आ जाता है। कांग्रेस और बीजेपी दोनों पार्टियों में उसकी सांठगांठ है तभी मनचाहा काम हो जाता है। इन दिनों उसने एक कांग्रेस नेता का आशीर्वाद ले रखा है।
सूत्रों ने बताया कि सीकर हाउस सिंधी कॉलोनी में अधिकतर कॉम्पलेक्स निगम के स्वीकृत निर्माण कार्य को ठेंगा बता रहे हैं, लेकिन निगम कार्रवाई नहीं करता। शायद इसीलिए मनोज अग्रवाल को जनहित याचिका लगानी पड़ी।
सूत्रों ने बताया कि दुकानों पर लगी सील की अनदेखी करते हुए व्यापारियों ने दुकानें खोल ली। बाजार में सन्नाटा तो हुआ, लेकिन एक-दो दिन के लिए। इसी बाबू की हरी झंडी के बाद व्यापारियों ने सन्नाटे को चीरते हुए शटर ऊपर उठा दिए। अब गैर कानूनी कार्य करने वाले व्यापारियों में मंथन इस बात का हो रहा है कि किसी तरह खबरें बंद करवाई जाए। खबरें प्रकाशित होने के बाद बाजार में हल्ला रूपी कोरोना फैल गया गया तो बाबू महोदय दूसरे जोन में क्वॉरेंटाइन हो गए।