रिपोर्ट – अनमोल कुमार
3 जुलाई 1994 को स्वतंत्र जिला लखीसराय के रूप में जाने जाने वाले इस जिले में एक दिन अशोक नाम का किशोर चरवाहा गिल्ली डंडा खेलने के क्रम में धरती के अंदर एक विशाल शिवलिंग को देखा और उसे उखाड़ने का भरसक प्रयास किया परंतु वह उसे हिला भी नहीं सका, या खबर आग की तरह पूरे इलाके में फैल गई और श्रद्धालुओं का आजमगढ़ जमा होने लगा यह घटना 7 अप्रैल 1977 की है l श्रद्धालु शिवलिंग का पूजा अर्चना करने लगे और लोगों का भीड़ बढ़ते चला गया ।
11 फरवरी 1993 को जगन्नाथ पुरी के शंकराचार्य ने वैदिक तरीके से मंदिर को पुनर्जीवित किया और उसका विधिवत उद्घाटन किया ।
श्रावण मास और शिवरात्रि के दिन इस मंदिर में काफी भीड़ लगती है । यहां धार्मिक कार्य यज्ञ अनुष्ठान पूजा पाठ शादी विवाह मुंडन आदि कई गतिविधियां आयोजित की जाती है l पूर्व में या स्थान मुंगेर जिला में आता था। धार्मिक दृष्टिकोण से यह स्थान अब काफी लोकप्रिय हो चुका है ।