सारण , अनमोल कुमार ।
सारण के रिविलगंज स्थित श्री सीताराम ब्रह्मचारी आश्रम से लगभग एक सप्ताह पूर्व चोरी हुई अष्टधातु की कीमती मूर्ति का अभी तक अता- पता नही चल पाया है । घटना से स्थानीय लोगो मे प्रशासन के सुस्त रवैये से प्रशासन के खिलाफ नाराजगी बढ़ती जा रही है। हालांकि चोरी हुई अष्टधातु की कीमती मूर्ति की बरामदगी के लिए सारण के पुलिस कप्तान संतोष कुमार ने मामले की जांच एसआईटी को सौप दिया है। लेकिन जिले के एसआईटी और रिविलगंज पुलिस अभी तक खाक छनती नजर आ रही है। हालांकि लोगो की बढ़ती नाराजगी को देखते हुए सारण के पुलिस कप्तान संतोष कुमार और डीएसपी स्वयं राम – जानकी मंदिर पहुँच कर मंदिर के पुजारी से लंबी पूछताछ की थी। तब स्थानीय लोगो को पुलिस कप्तान संतोष कुमार की सक्रियता से लगने लगा था कि चोरी हुई अष्टधातु की कीमती मूर्ति जल्द ही प्रशासन द्वारा बरामद कर ली जाएगी। लेकिन समय बीतने के साथ ही लोगो का धैर्य भी इसलिए डोलने लगा है क्योकि लगभग तीन वर्ष पूर्व भी रिविलगंज थाना क्षेत्र के गोदना स्थित ऐतिहासिक गौतम ऋषि मंदिर से अष्टधातु निर्मित माता सीता और भगवान लक्षमण की मूर्ति चोरों ने चोरी कर ली थी जिसको पुलिस आज तक बरामद करने में नाकाम ही रही है। लोगो का कहना है कि पुलिस की शिथिल रवैये से ऐसा लग रहा है कि इस बार भी चोरी हुई मूर्ति को बरामद करने में नाकाम ही साबित होगी।
कही पुजारी का आपसी विवाद या चुनावी लाभ लेने के लिए तो नही हुई मूर्ति की चोरी?
रिविलगंज के राम – जानकी मंदिर में चोरी हुई अष्टधातु की मूर्ति की घटना के बाद से स्थानीय लोग तरह – तरह के कयास लगाने शुरू कर दिए है। कुछ लोगो का ऐसा मानना है कि लगभग तीन वर्ष पूर्व जिले बनियापुर थाना क्षेत्र के एक मंदिर से लगभग आधा दर्जन अष्टधातु की कीमती मूर्ति की चोरी की घटना हुई थी जिसमे पुलिस ने सक्रियता दिखाते हुए चोरी हुई मूर्तियों को बरामद कर लिया था। मूर्ति चोरी के मामले में पुलिस ने उस मंदिर के पुजारी के रिश्तेदार को पकड़ा था जिसके बाद ही घटना का उद्भेदन हुआ। स्थानीय लोगो का कहना है कि जिस तरीके से राम – जानकी मंदिर में रहने वाले दो पुजारियों के बीच उत्तराधिकारी बनने को लेकर कई महीनों से विवाद चल रहा है , हो सकता है कि मंदिर के पुजारी ने ही एक – दूसरे को बदनाम करने के लिए इस तरह की घटना को अंजाम दिए हो। वही कुछ लोगो का कहना है कि हाल में होने वाले पंचायत चुनाव में प्रत्याशियों द्वारा अपनी जीत पक्की करने के ख्याल से भी इस घटना को अंजाम दिलवाया जा सकता है। लोगो का कहना है कि स्थानीय एक जनप्रतिनिधि के पति जो दबंग होने के साथ ही अपनी कारनामो को लेकर अक्सर बदनाम रहते है उनके वैसे विरोधियों जो अपने मन मे जीत की लालसा बनाए हुए हो , वे अच्छी तरह जानते है कि उस प्रतिनिधि के दबंग और बदनाम पति के रहते चुनाव जीतना मुश्किल भरा काम होगा। इस तरह की घटना से वैसे प्रतिनिधि के बदनाम पति की बदनामी तो होगी ही उसके जेल चले जाने के बाद चुनावी जीत भी आसान हो सकती है। इसलिए पुलिस को वैसे प्रत्याशियों पर भी नजर रखने की जरूरत है जो उस जनप्रतिनिधि को हराकर खुद प्रतिनिधि बनाने का ख्वाब संजोए हुए है।
अष्टधातु की मूर्तियों को ठिकाने लगाने में कही स्वर्ण कारीगरो की भूमिका तो नही?
अष्टधातु से निर्मित मूर्तियों की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजारों में ज्यादा है इसीलिए अंतरप्रांतीय चोर अष्टधातु की मूर्तियों को अपना निशाना बनाते है। हालांकि हाल के दिनों में कई ऐसे मामले देखने को मिले है जिसमे चोरों ने अष्टधातु निर्मित मूर्तियों को अंतरराष्ट्रीय बाजारों में न ले जाकर आस – पास के स्वर्ण कारीगरों से मिल अष्टधातु की मूर्तियों को गला कर उसमें से कीमती सोना , चांदी जैसे पदार्थ को निकाल कर आपस मे बटवारा कर लेते है। और पुलिस वैसे चोरों के तलास में खाक छनती रह जाती है जिनका संबंध अंतरराष्ट्रीय बाजारों से हो।