बीकानेर, । श्री श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ की वरिष्ठ साध्वी प्रियरंजनाश्रीजी ने बुधवार को रांगड़ी चैक के सुगनजी महाराज के उपासरे में प्रवचन मंे कहा कि अपने में व्याप्त अहंकार को समाप्त करें तथा समर्पण,सद्गुण, सदाचार, सहजता, सहनशीलता को जीवन, आचार-विचार व व्यवहार में लाएं। अहंकार से वशीभूत प्राणी सही रूप में साधना, आराधना व भक्ति नहीं कर सकता ।
साध्वीजी ने कहा कि वर्तमान पीढ़ी अपने आप में दुनियाभर के ज्ञान की शेखी बघारती है लेकिन वह जीवन में सही ज्ञान को आत्मसात नहीं करती। अहंकार व ईगो के कारण सम्यक, ज्ञान, दर्शन व चारित्र की पालना तो क्या मानवीय जीवन, धर्म व आध्यात्म के असली मर्म को भी नहीं समझ सकती । जीवन को अमृृत तुल्य बनाने के लिए अहंकार व प्रमाद का त्याग कर सजगता व जागृृति के साथ हर काल व परिस्थिति में समतामय रहने का प्रयास व पुरुषार्थ करें।

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