_गुजरात में पर्यवेक्षक लगाए प्रदेश के मंत्री-विधायकों के दौरे अब बंद पड़े


जयपुर।राजस्थान कांग्रेस में घमासान का गुजरात विधानसभा चुनावों पर सीधा असर।
राजस्थान के सियासी भूकंप के झटके गुजरात में सबसे ज्यादा महसूस किए जा रहे हैं। देश के सबसे हाई प्रोफाइल विधानसभा चुनाव इसी साल दिसंबर में गुजरात में होने हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का यह गृह राज्य है। लेकिन कांग्रेस यहां चुनावी चौसर बिछने से पहले ही बिखरती नजर आ रही है। गुजरात विधानसभा चुनावों के लिए रणनीति की कमान कांग्रेस ने सीएम अशाेक गहलाेत काे दे रखी है।

गहलाेत काे यहां सीनियर ऑब्जर्वर बनाया गया, वहीं उनकी सरकार के 13 मंत्री, 11 विधायकों सहित 2 पूर्व सांसदाें और बाेर्ड निगम के 2 अध्यक्षाें काे भी पर्यवेक्षक बनाया गया है। लेकिन इसी बीच राजस्थान में नए मुख्यमंत्री को लेकर जो सियासी बवंडर उठा उसने राजस्थान के नेताओं का गुजरात से फोकस पूरी तरह खत्म कर दिया। अगस्त और सितंबर के पहले सप्ताह तक गहलाेत और उनके मंत्रियों ने गुजरात के 2 दाैरे किए, लेकिन इस घटनाक्रम के चलते राजस्थान के नेताओं के गुजरात दौरे बंद हो गए।

प्रदेश के इन नेताओं को दी गई चुनाव प्रबंधन की जिम्मेदारी
बनासकांठा सीट पर मंत्री अशोक चांदना, पाटन सीट पर मंत्री रामलाल जाट, मेहसाणा सीट पर मंत्री उदयलाल आंजना, गांधीनगर सीट पर विधायक सुरेश मोदी, अहमदाबाद ईस्ट सीट पर विधायक हाकम अली, अहमदाबाद वेस्ट पर आरटीडीसी अध्यक्ष धर्मेंद्र राठौड़ और विधायक अमीन कागजी, सुरेन्द्र नगर सीट पर मंत्री शकुंतला रावत और विधायक अशोक बैरवा, राजकोट सीट पर मंत्री प्रमोद जैन भाया और विधायक पानाचन्द मेघवाल, पोरबन्दर सीट पर रामपाल शर्मा, जामनगर सीट पर मंत्री राजेन्द्र यादव और विधायक जगदीश चन्द्र और जूनागढ़ सीट पर डॉ. करण सिंह यादव और केश कला बोर्ड अध्यक्ष महेन्द्र गहलोत को जिम्मेदारी सौंपी गई है।

राजस्थान में भी अगले साल विधानसभा चुनाव
गुजरात विधानसभा चुनावाें के बाद अगले साल राजस्थान में भी विधानसभा चुनाव हाेने हैं। ऐसे में वहां पर्यवेक्षक लगाए गए राजस्थान के नेताओं का रुझान गुजरात से ज्यादा अपनी विधानसभा पर है। यहां तक कि सरकार के मंत्री भी अब ज्यादातर समय अपनी विधानसभाओं में ही बिता रहे हैं।

दिल्ली से भी निर्देश नहीं कि नेताओं को गुजरात कब जाना है
पिछले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस और भाजपा के बीच यहां कांटे की टक्कर थी। लेकिन इस बार आम आदमी पार्टी ने भी यहां ताल ठोक दी है। ऐसे में कांग्रेस मौजूदा स्थिति से जल्द बाहर नहीं निकली तो उसे बड़ा नुुकसान उठाना पड़ सकता है। वहीं दिल्ली से भी काेई निर्देश नहीं हैं कि राजस्थान के नेताओं काे गुजरात कब जाना है।

चुनावाें में पर्यवेक्षक बनाए गए एक मंत्री का कहना है कि राजस्थान में पिछले दिनाें जाे राजनीतिक घटनाक्रम घटा उसकी वजह से सभी का ध्यान गुजरात से कहीं न कहीं हट गया है। अब राजस्थान के नेता गुजरात में प्रचार के लिए जाते भी हैं ताे भाजपा राजस्थान के घटनाक्रम काे वहां मुद्दा बनाएगी।