

बीकानेर,(ओम एक्सप्रेस ) ।
‘कविता-कोशÓ के राजस्थानी विभाग के सह-संपादक आशीष पुरोहित के राजस्थानी कविता संग्रह ‘अैनांणÓ का लोकार्पण आज वरिष्ठ रंगकर्मी पत्रकार व साहित्यकार मधु आचार्य ‘आशावादी ने किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कवयित्री-कहानीकार सीमा भाटी ने की। विशिष्ट अतिथि कवयित्री-कहानीकार ऋतु शर्मा थीं।
गायत्री प्रकाशन के स्थापना दिवस पर यह कार्यक्रम कुसुम-कुंज में आयोजित किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि मधु आचार्य ‘आशावादीÓ ने कहा कि आशीष की कविताओं में कहन का नयापन है, जो अर्थ के मर्म तक सहज ही ले जाता है। निश्चित रूप से यह कविताएं राजस्थानी काव्य-जगत में अपनी शैली की वजह से पहचान बनाएगी। जिस तरह के विषय आशीष ने उठाए हैं, वे उन्हें पारंपरिक कवियों से न सिर्फ जुदा करते हैं बल्कि समकालीन भारतीय कविता से भी जोड़ते हैं। आशीष की कविताएं किसी भी रूप में दूसरी भारतीय भाषाओं की युवा-कविता से कम नहीं हैं। आचार्य ने कहा कि राजस्थानी लेखन में युवाओं का आना बहुत जरूरी है, आशीष का आगमन इस रूप में प्रसन्नता का विषय है।
कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि कवयित्री-कहानीकार ऋतु शर्मा ने कहा कि इन कविताओं में राजस्थानी के नये मुहावरे हैं, जो राजस्थानी युवा कविता को समृद्ध करेंगे। ‘अैंनाणÓ की कविताओं में कवि ने अपने आसपास के वातावरण से गुम हो रही निशानियों की स्मृतियां उकेरी हैं जो सहज ही हमें भी अपनी स्मृतियों से जोड़ती हैं।
कार्यक्रम की अध्यक्ष कवयित्री-कहानीकार सीमा भाटी ने कहा कि आशीष की कविताएं राजस्थानी युवा कविता को नई पहचान देने वाली साबित होंगी। ‘अैनांणÓ की कविताएं अनुभव की आंच में पकी हुई हैं। इन कविताओं में कहीं भी जल्दबाजी नहीं है और न आत्ममुग्धता है। यह कवि की निजी अंतर्यात्रा है, जिसके कुछ पलों को इन कविताओं में जगह मिली है। आशा की जा सकती है कि जल्द ही कुछ पलों की सघन अनुभूतियां हमसे साझा करेंगे।
लोकार्पित कृति ‘अैनांणÓ के कवि आशीष पुरोहित ने कहा कि इन कविताओं में सिर्फ अनुभूतियां हैं जो सहजता से उतरती गईं। कविता वही है, जिसे कहते हुए किसी तरह का प्रयास नहीं किया जाए, लेकिन यह भी कह सकता हूं कि मैंने इन कविताओं में जो साझा किया है, वह तब ही सामने आया जब बहुत जरूरी लगा। जब तक मन नहीं माने तब तक कागज को अक्षर देना मेरी नजर में एक रचनाकार द्वारा किया जाने वाला अपराध है।
प्रारंभ में गायत्री प्रकाशन की गायत्री शर्मा ने गायत्री प्रकाशन के स्थापना दिवस पर सभी रचनाकारों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की और कहा कि हमारा ध्येय लेखक, प्रकाशक और पाठकों के बीच मधुर संबंधों की स्थापना करना है। विकास शर्मा ने कवि आशीष पुरोहित का स्वागत किया। संचालन हरीश बी. शर्मा ने किया। आभार सुकांत किराड़ू ने स्वीकार किया।