जयपुर। प्रदेश भर के बिजली डिस्कॉम कर्मियों की इन्टर डिस्कॉम तबादलों की मांग को लेकर पिछले 173दिनों से राजधानी जयपुर के गांधीनगर विधायकों के आवासों पर धरने पर बैठे हैं डिस्कॉम कर्मियो ने बिजली विभाग द्वारा रेशमा एक्ट लागू करने के बावजूद भी धरना जारी है, साफ है बिजली कर्मचारी गहलोत सरकार से दो दो हाथ करने को तैयार है, या आर – पार कि लड़ाई लड़नें को तैयार है, क्योंकि अनिश्चित कालीन धरने के दौरान कई बार उग्र प्रदर्शन भी किये है, या 19 जुलाई 2023 को विधानसभा घेराव किया गया था, एक बार बिना बताया मुख्यमंत्री निवास पर भी पहुंच चुके थें धरनार्थी जिसके बाद आनन फानन मे मुख्यमंत्री ने मिलकर आरती डोगरा को इन्टर डिस्काम तबादलों के समाधान कराने का निर्देश भी दिये थें बाबजूद अभी तक इन्टर डिस्काम तबादलों का समाधान नहीं हो सका, और आश्वासन के अलावा अभी तक कुछ नहीं मिला, इंटर डिस्काम संयुक्त संघर्ष समिति के प्रदेशाध्यक्ष रामकेश मीना ने बताया कि तबादलों की मांग को लेकर मुख्यमंत्री से तीन बार वार्ता हो चुकी है, यहां तक की विधायकों के साथ भी वार्ता मुख्यमंत्री स्तर पर हुई थी और वहां से उच्च अधिकारियों को इन्टर डिस्काम तबादलों को लेकर निर्देश भी दिए गए थें, लेकिन अभी तक निगम प्रशासन के द्वारा कोई सकारात्मक निर्णय नहीं लिया गया है, वहीं दूसरी ओर बिजली कर्मचारी के धरने प्रदर्शनों पर लगाम लगाने के लिए गृह विभाग ने लगाया रेशमा एक्ट। प्रदेश में गृह विभाग ने एक आदेश जारी कर ऊर्जा विभाग और बिजली कंपनियों के कर्मचारियों पर रेशमा एक्ट लगा दिया था, गृह विभाग ने 1 सितंबर को विद्युत सेवाओं को आप अति आवश्यक मानते हुए जनता के हित में राजस्थान एक्ट सेवा अनुरक्षण अधिनियम 1970 के तहत 6 महीने के लिए रेशमा लागू किया गया था, रेशमा लगाने के बाद धरना प्रदर्शन करने वाले कर्मचारियों के विरुद्ध विधिक व विभागीय कार्यवाही की जाती है और उन्हें गिरफ्तार कर सजा का भी प्रावधान है, वहीं कर्मचारियों के धरने के दौरान अनुपस्थित रहने पर सर्विस ब्रेक के रूप में माना जाता है, और जो कर्मचारियों के दोषी पाए जाने पर निगम प्रशासन व विधुत विभाग उन्हें सेवा से बर्खास्त भी कर सकता हैं, ” दूसरी ओर मध्य प्रदेश, हरियाणा और आंध्र प्रदेश के तर्ज पर तबादलों की है मांग,”। संघर्ष समिति के प्रदेश अध्यक्ष रामकेश मीणा ने बताया कि आंध्र प्रदेश एमपी और हरियाणा में बिजली कंपनियों में इंटर डिस्काम तबादलें हो रहें है, उसी तर्ज पर राजस्थान में इन्टर डिस्काम तबादला क्यों नहीं हो सकते हैं, उन्होंने बताया की पिछली वसुंधरा सरकार ने पहले भी लाडनूं अंतरण स्कीम के तहत कर्मचारियों के तबादले एक डिस्काम से दूसरे डिस्काम में किए गए हैं उन्होंने बताया कि 173दिनों के धरनें के बावजूद गहलोत सरकार कोई निर्णय नहीं ले पायी है, अतः हमारी मांग है कि सरकार समायोजन कर इन्टर डिस्काम तबादलों मै राहत प्रदान करें या नए जिलों में समायोजन के साथ तबादलों करें, प्रदेश में 19 नए जिलों के गठन के बाद बिजली विभाग के कई उपखंड एक डिस्कॉम से दूसरे डिस्कॉम कंपनी क्षेत्र में बदले जाएंगे नए जिलों में सरकार के समायोजन से कई कर्मचारियों के तबादलें भी होंगे अतः जब नए जिलों में जोधपुर डिस्कॉम के कुछ हिस्से जैसे पाली जिले के जैतारण रायपुर आनन्द पुर कालू व पिपलिया के क्षेत्र को अजमेर डिस्काम के ब्यावर जिलें में शामिल किया जा रहा है, वही जयपुर डिस्कॉम के टोडरायसिंह उपखंड को अजमेर डिस्काम के केकड़ी जिलें मे मिलाकर अजमेर डिस्काम में शामिल किया जा रहा है, और उनमें कार्यरत बिजली कार्मिकों को विकल्प पत्र देकर उनके इन्टर डिस्कॉम तबादलें भी किए जाएंगे, अत प्रदेश के बिजली कर्मचारियों की जायज इन्टर डिस्कॉम तबादलों की मांग को लेकर विगत 172 दिनों से गांधीनगर में धरने पर बैठे हैं,और तीन बार मुख्यमंत्री गहलोत साहब और कई बार प्रशासनिक अधिकारियों के साथ वार्ता के बावजूद कोई हल नहीं निकल रहा है सरकार से मांग है कि जल्द से जल्द कोई नीति बनाकर तबादले किए जाएं अन्यथा आगामी चुनाव में कांग्रेस को वोट की चोट कर करारा जवाब दिया जाएगा रामकेश मीणा प्रदेश अध्यक्ष इंटर डिस्काम संयुक्त संघर्ष समिति राजस्थान