राजस्थान उच्च न्यायालय जोधपुर की 05 बैंचों में 1900 मामलो में 250 प्रकरण में 3,91,10,700/- एवं जयपुर की 6 बैंचों में 1843 प्रकरण में 515 प्रकरणों का निस्तारण कर 5,33,77,551 की राशि के अवार्ड पारित किए

एक 35 वर्ष पुराने पारिवारिक विवाद का माननीय राज0 उच्च न्यायालय बैंच जयपुर में आपसी समझाईश के माध्यम से राजीनामा के जरिये निस्तारण हुआ है।
पिछली बार दो लाख, अबकी बार नौ लाख

जोधपुर,( दिनेश शर्मा “अधिकारी“) । राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली के तत्वावधान में राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, जयपुर द्वारा आयोजित वर्ष 2022 की “ द्वितीय राष्ट्रीय लोक अदालत “ का माननीय कार्यवाहक मुख्य न्यायाधिपति , राज0 उच्च न्यायालय एवं कार्यकारी अध्यक्ष, राज0 राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, मनिन्द्र मोहन श्रीवास्तव द्वारा राजस्थान उच्च न्यायालय, जोधपुर के नवनिर्मित भवन में मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवलन करते हुए शुभारंभ किया गया। इस शुभारंभ कार्यक्रम में माननीय न्यायाधिपति विजय बिश्नोई अध्यक्ष राज0 उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति, जोधपुर के साथ-साथ अन्य माननीय न्यायाधिपतिगण सर्वश्री पुष्पेंद्र सिंह भाटी, दिनेश मेहता, विनीत कुमार माथुर, मनोज कुमार गर्ग व रामेश्वर व्यास, रजिस्ट्री एवं रालसा के अधिकारीगण एवं विद्वान अधिवक्तागण उपस्थित रहे।
राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, सदस्य सचिव ने बताया कि शुभारंभ संदेश में माननीय कार्यवाहक मुख्य न्यायाधिपति श्रीमान मनिन्द्र मोहन श्रीवास्तव ने गठित बैंचों के पीठासीन अधिकारियों व सदस्यों, एवं राज्यभर के समस्त न्यायिक अधिकारियों को अग्रिम शुभकामनाएं देते हुए राष्ट्रीय लोक अदालत को सफल बनाने के लिए उनके द्वारा विशेष मुहिम के रूप में किए गए प्रयासों के लिए धन्यवाद देते हुए बताया कि गत तीन राष्ट्रीय लोक अदालतों 11-09-2021, 11-12-2021 एवं 12-03-2022 में लगातार रालसा एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों तथा तालुका विधिक सेवा समितियों के द्वारा किए गए प्रयासों से लगातार नए कीर्तिमान स्थापित हुए हैं। उन्होंने बताया कि इस बार लक्ष्य लंबित मुकदमों की पेंडेंसी 10 प्रतिशत तक कम करने का है। दिनांक 12-03-2022 की राष्ट्रीय लोक अदालत में पूरे देश भर में लंबित प्रकरणों के निस्तारण में राजस्थान नम्बर 2 पर था अबकी बार राजस्थान को नम्बर 1 पर लाने का भरपूर प्रयास करेंगे।
उन्होंने कहा कि इस बार राष्ट्रीय लोक अदालत में ‘‘न्याय आपके द्वार’’ की संकल्पना के नवाचार के माध्यम से लोक अदालत की मूल भावना को ग्राम स्तर पर पहुंचाने का प्रयास किया गया है। इस बार “डोर स्टेप प्री-काउसंलिंग“ के लिए ग्राम न्यायाधिकारियों, पैनल अधिवक्ताओं, गांव के प्रतिष्ठित व्यक्तियों व स्थानीय जन प्रतिनिधियों, पंच, सरपंच आदि का भी सहयोग लिया गया है। जिसमें प्रत्येक पंचायत समिति तथा तालुका स्तर पर डोर स्टेप काउंसलिंग में मुकदमों के निस्तारण हेतु अभूतपूर्व उत्साह देखने को मिला है। माननीय न्यायाधिपति ने चैक अनादरण के बढ़ते मुकदमों पर चिंता जाहिर करते हुए बताया कि राजस्थान में लंबित 21 लाख मुकदमों में से करीब 6 लाख चैक अनादरण के मामले हैं। इसलिए इस बार की राष्ट्रीय लोक अदालत में चैक अनादरण के मामलों पर विशेष फोकस किया गया है। इसके लिए बैंक व वित्तीय संस्थानों के साथ बैठकें कर उनसे सहमति प्राप्त की गई कि वे अपनी “वन टाइम सैटलमेंट“ या “समझौता स्कीम“ के तहत गणना कर समझौता राशि प्री-काउंसलिंग से पूर्व बता दें ताकि राष्ट्रीय लोक अदालत के नोटिस के जरिये ही उक्त राशि से ऋणी को अवगत कराया जा सके और उसे लोक अदालत में अपने ऋण प्रकरण का निस्तारण करवाने हेतु प्रेरित किया जा सके। इससे ऋणी को यह फायदा होगा कि वह अपने ऋण को समझौते के तहत चुका कर ससम्मान ऋण मुक्त हो सकता है। मोटर यान दुर्घटना दावा मामलों में भी रालसा स्तर पर इसी तरह का विशेष अभियान चलाया गया और इन मामलों में भी बीमा कंपनियों को तैयार किया गया कि वे विधि के स्थापित सिद्धांतों के अनुसार जो प्रतिकर राशि बनती है, को सेटलमेंट के लिए आॅफर के रूप में क्लेमेंट के सामने रखे और क्लेमेंट को सुलह वार्ता के दौरान बताया गया कि यही वह राशि है जो उसे उसके प्रकरण में संभाव्य प्राप्त होनी है। तत्पश्चात दोनों पक्षों में प्री-काउंसलिंग कर सुलह के प्रयास किए गए हैं। इसका यह फायदा है कि कई साल मुकदमा चलकर क्लेमेंट को जो राशि मिलनी होती है उसका उसे तत्काल लाभ मिल जाता है।
माननीय न्यायाधिपति ने इस बार राष्ट्रीय लोक अदालत के प्रचार-प्रसार में राज्य सरकार से मिले सहयोग को सराहा और इस बात का भी उल्लेख किया कि राज्य सरकार ने इस बार 150 अतिरिक्त कर्मचारियों की सेवाएं उपलब्ध करवाई हैं जिससे प्री-काउंसलिंग का कार्य बेहतर ढंग से हो पाया है। राज्य सरकार ने अपने विभागों के मामलों के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त कर माॅनिटरिंग करवाई है जिससे सरकारी विभागों के मामलों में सुलह की संभावना बढ़ी है।
अंत में उन्होंने उपस्थित सभी साथी न्यायाधिपतिगण, विद्वान अधिवक्तागण, सरकारी अधिकारीगण, बैंक एवं बीमा कम्पनी के अधिकारीगण तथा पक्षकारान द्वारा अधिक से अधिक प्रकरणों को राजीनामे के माध्यम से निस्तारित करवाने के प्रयास करने हेतु अनुरोध किया और आहवान किया प्रदेश के नागरिकों में आपसी भाईचारा और बंधुता बढाने हेतु संकल्प लेकर राष्ट्रीय लोक अदालत के इस पावन यज्ञ में अपने समय और श्रम की आहुति देकर इसे सफल बनाएंगे।
राज0 राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, जयपुर के सदस्य सचिव दिनेश कुमार गुप्ता ने बताया कि इस लोक अदालत में राज्यभर में कुल 870 बैंचों का गठन किया गया। जिनमें कुल 13,81,218 प्रकरण समझाईश हेतु रखे गए थे। सायं 7 बजे तक प्राप्त सूचना के अनुसार इनमें से कुल 8,90,170 प्रकरणों का आपसी सुलह-समझाईश से निस्तारण हुआ तथा कुल रूपये 6,41,56,95,439 के अवार्ड पारित किए गए हैं। माननीय राजस्थान उच्च न्यायालय जोधपुर में 05 बैंचों एवं जयपुर में 6 बैंचों का गठन किया गया, जिनमें क्रमशः 1900 व 1843 प्रकरण रखे गए तथा क्रमशः 250 एवं 515 प्रकरणों का निस्तारण हुआ एवं क्रमशः 3,91,10,700/- व 5,33,77,551 की राशि के अवार्ड पारित हुए।

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