बीकानेर,। इंदिरा गांधी नहर परियोजना संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक भंवर पुरोहित के नेतृत्व में राज्य-सरकार द्वारा ईआरसीपी(प्रोजेक्ट) के लिए नहरी भूमि को बेचकर राजस्व इकठ्ठा करने के विरोध में माननीय मुख्यमंत्री के नाम का ज्ञापन जिलाधीश, बीकानेर के माध्यम द्वारा दिया गया।
पुरोहित ने कहा कि राज्य सरकार यह नहरी भूमि बडे काॅलोनाईजर को बेचकर राजस्व संग्रहित(ईकठ्ठा) कर ईआरसीपी प्रोजेक्ट को पूरा करना चाहती है। पूर्व में इसी मुद्दे को लेकर नहर कर्मियों ने 2008 में बडा आन्दोलन किया था। तत्पश्चात् तत्कालीन प्रमुख सचिव, नहर बोर्ड अध्यक्ष, मुख्य अभियंता, इगांनप बीकानेर द्वारा यह नहरी भूमि नहर कर्मियों को आरक्षित दर पर देने की अभिशंषा की।
इंटक के अध्यक्ष लेखराज सहारण ने कहा कि राज्य सरकार ने यह नीतिगत निर्णय कर लिया है कि नहरी भूमि को बेचेगी तो सरकार को सदाश्यता रखते हुए नहर कर्मियों को यह भूमि आरक्षित दर पर देनी चाहिये, सहारण ने कहा कि एशिया की इस मानव-निर्मित नहर को बनाने में नहर के मजदूर, अभियंता, कर्मचारियों ेन अपने खून-पसीन से निर्माण कार्य में अपना जीवन लगाया है।
भामस के अध्यक्ष पुखसिंह राठौड, संजीव पराशर, कृष्णा कवंर ने कहा कि नहरी भूमि पर पहला हक नहर विभाग में कार्यरत कर्मचारियों का है। अगर सरकार ने नहर कर्मचारियों के हित में निर्णय नहीं लिया तो लोकतांत्रिक तरीके से आन्दोलन किया जायेगा, जिसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी।
इग्नपस के अध्यक्ष कमल अनुरागी, महामंत्री हितेश अजमानी ने कहा कि इस मुद्दे पर नहर का कर्मचारी एकजुट हो संर्घष समिति जो भी निर्णय करेगी नहर का कर्मचारी तन,मन, एवं धन से आन्दोलन में सक्रिय रहेगा।
कचहरी परिसर में प्रदर्शन में हेमन्त सोनी, तरूण गुरविन्दर सिंह, जितेन्द्र कच्छावा, अपूर्व श्रीमाली, जेठमल सोलंकी, सुनील सिंह, अशोक रंगा, गुरमीत सिंह, टिंकेश शर्मा, गोविन्द सिंह, नवरतन मारू, उमेश तनेजा, चैन सिंह, राजेश कुमार सैन ऋषि राज कल्ला, प्रदीप गहलोत, नथमल गहलोत, सविता पुरोहित आदि सेकडों की संख्या में नहर कर्मचारी उपस्थित थे।