-आरपीएससी सदस्य बाबूलाल कटरा चाहे ईओ-आरओ परीक्षा से पहले गिरफ्तार हो गया, लेकिन पेपर तैयार करवाने में उसकी अहम भूमिका थी

जयपुर,(हरीश गुप्ता )। सेकंड ग्रेड टीचर के पेपर आरपीएससी स्ट्रांग रूम से बाहर लाने का मुख्य सरगना बाबू लाल कटारा ईओ-आर ओ भर्ती परीक्षा में अहम कड़ी था। चाहे इस भर्ती से पहले वह ‘कृष्ण जन्मभूमि’ चले गया, लेकिन पेपर से लेकर परीक्षा तक की उसने व्यवस्था कर ली थी।
गौरतलब है भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने 15 जुलाई को कांग्रेस नेता व पूर्व मंत्री के दर्जा वाले गोपाल केसावत को साथियों के साथ ईओ परीक्षा में ओएमआर शीट में खेलकर पास करवाने के एवज में घूस लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया था। परिवादी की ओर से दर्ज रिपोर्ट में आरपीएससी सदस्य का भी नाम है कि उक्त घूस की रकम के बाद उस सदस्य के मार्फत काम होगा।
गौरतलब यह भी है कि इतना कुछ होने के बाद भी आरपीएससी ने ईओ भर्ती को सही माना और प्रश्न पत्रों की मॉडल उत्तर कुंजियां वेबसाइट पर डाल दी। इतना ही नहीं जल्दबाजी के कारण 3 दिन का आपत्ति के लिए समय भी दे दिया। सबसे बड़ी बात तो यह है कि आरपीएससी ने इतना कुछ तब कर लिया, जब 18 जुलाई को न्यायालय ने यह टिप्पणी कर डाली, ‘इसे क्यों न रद्द कर दिया जाए।’ इसका मतलब आरपीएससी न्यायालय की भी कोई परवाह ही नहीं करती।
सूत्रों की मानें तो बाबूलाल कटारा ने आरओ भर्ती के लिए पूरा मंथन किया था। पेपर कैसे हो, क्या प्रश्न आए, इसके लिए उसने उदयपुर के एक प्रशासनिक अधिकारी और स्वायत्त शासन विभाग के कुछ अधिकारियों से भी सलाह ली थी। सूत्रों की मानें तो पकड़े जाने से पहले वह पेपर सेट कर चुका था। ओएमआर शीट में कैसे खेल होता है, इसका उसे पता था और उसमें पारंगत था, क्योंकि अध्यक्ष का वह ‘खास’ था।
गौरतलब है पेपर लीक (सेकंड ग्रेड टीचर) मामले में ईडी ने बाबूलाल कटरा सहित पांच जनों की संपत्ति अटैच की है, जिनमें कटरा, अनिल मीणा, सुरेश ढाका, भूपेंद्र सारण और सुरेश बिश्नोई हैं। ईडी की जांच में यह भी आया कि करीब 200 लोगों को पेपर दिया गया था। ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि उन 200 लोगों पर मेहरबानी कैसी? उनकी संपत्ति अटैच क्यों नहीं की गई? घूस लेने वालों से ज्यादा दोषी घूस देने वाला है। ईडी उन फर्जी गुरु बनने वालों पर मेहरबान क्यों? इसके अलावा ईडी की वक्र दृष्टि थानेदारों की भर्ती पर क्यों नहीं पड़ रही? उसमें भी बड़ा खेला हुआ है। सही से पूछताछ होती है, तो जेलें भी कम पड़ जाएगी राजस्थान की।