बीकानेर 31 जनवरी | उदीयमान कवयित्री मानसी शर्मा का सम्मान राष्ट्रीय कवि चौपाल और राजस्थानी भाषा पोषण मंच ने पवनपुरी दक्षिण विस्तार में किया | सम्मान स्वरूप माल्यार्पण कर शोल, स्मृति चिन्ह, सम्मान-पत्र, नकद राशि एवं साहित्य मंच द्वारा भेंट किया गया |

मुख्य अतिथि मदन सैनी ने कहा कि हनुमानगढ़ की युवा कवयित्री ने राजस्थानी भाषा में बाल कहानियों की पुस्तक ‘च्युइंग गम’ की रचना करके बच्चों का हौसला बढाने का सार्थक प्रयास किया है, इसके लिए लेखिका बधाई की पात्र है | राष्ट्रीय कवि चौपाल के संरक्षक कवि नेमचंद गहलोत ने कवयित्री के उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए कहा ‘बेटे को सब कहते सोना बेटी होने पर कांई का रोना \ दोनों होते एक समान दोनों ही है गुणवान \ दो घरों की शान है बेटी, मां बाप का अभिमान होती है बेटी | सुनाकर मानसी के आने वाले नए काव्य संग्रह की चर्चा की | समारोह की अध्यक्षता करते हुए शिक्षाविद जगदीशप्रसाद उज्ज्वल ने कहा कि हनुमानगढ के बाल साहित्यकार, टाबर टोली पाक्षिक समाचार पत्र के संस्थापक दीनदयाल शर्मा एवं सम्पादक, प्रकाशक व मुद्रक श्रीमती कमलेश शर्मा की उदीयमान रचनाकार बेटी मानसी के रचनाकर्म की तारीफ़ करना लाजमी है क्योंकि इस उम्र में इतनी परिपक्वता मैंने किसी अन्य में नहीं देखी | कवि राजाराम स्वर्णकार ने कहा कि मानसी का रचना संसार बड़ा व्यापक है |

कम शब्दों में स्तरीय बात पूरी गंभीरता से कहना एक कला है | बोद्धिकता, सर्जनात्मक अनुभूतियों के साथ, शब्दों के मायाजाल से दूर रहकर बात कहने का हूनर मानसी को भली प्रकार आता है | च्युइंग गम की आठ कहानियों में आठ तरह का तेवर दिखाई देता है | इनकी कविताएं भी छोटी-छोटी है मगर इन छोटी रचनाओं का फलक विस्तारित है | मानसी अपनी प्रभावी लेखनी के दम पर बहुत अच्छा लिख रही है इस उम्र में जहां युवतियों का मन सोशल मीडिया से हटता नहीं वहां मानसी ने उसकी अच्छाई व बुराई से युवतियों को सावचेत करने का सार्थक प्रयास किया है | कार्यक्रम में दीनदयाल शर्मा, श्रीमती कमलेश शर्मा, रामेश्वर बाड़मेरा, तुलसीराम मोदी ने भी अपने विचार व्यक्त किए |

सम्मान से अभिभूत होते हुए मानसी ने कहा कि यह मेरा पहला सार्वजनिक सम्मान समारोह है | गुणीजनों ने मेरे लेखन को सराहा इससे मुझे ऊर्जा मिली है जिससे मैं और कसावट के साथ रचनाधर्म का पालन करूंगी | आपका आशीर्वाद शिरोधार्य है | सभी के प्रति आभार समाजसेवी हनुमान कच्छावा ने माना |
संवाद प्रेषक
राजाराम स्वर्णकार