जितेंद्र व्यास। पर्यटन।
आसमान से उतरती चाँद की रश्मिया और दूर तक फैला रेत का समंदर। इस पर लोक संगीत पर थिरकते कलाकारों के पाँव कुछ अलग ही समां बाँध रहे थे। यह बीकानेर के ladera गाँव का मनोहारी दृश्य था। 2006 से यहाँ ऊंट उत्सव तेज़ी से आगे बढ़ता दिखा। उत्सव के दौरान दाढ़ी मूछों वाले बांके जवानों की प्रतियोगिता मिस्टर बीकाणा आकर्षण का केंद्र रहने लगी। इसके प्रतिभागियों को अब रौबीला कहा जाने लगा। यह रौबीला शब्द भी कमाल का हिट हुआ।
दरअसल 2004 में जब मैं बीकानेर के स्टेडियम से रिपोर्टिंग कर लौटा तो समाचार पत्र के कार्यालय में मुझे संपादक ने कहा कि फोटो के लिए कोई कैप्शन लिखो। मैंने लिखा कि दाढ़ी मूंछों वाले बांके जवान प्रदर्शन करते हुए। संपादक ने कहा कि कैप्शन बहुत बड़ा और नीरस है। मैंने एक शब्द का इस्तेमाल किया वह था रौबीला। बस यह शब्द हिट हो गया और आज भी हिट है। मिस्टर बीकाणा भी विवादों में रही। 2006 में कुछ रॉबिलों ने पर्यटन विभाग के कार्यालय में जमकर विरोध जताया।
यह भी कहा गया कि दादाजी नाना जी बन चुके लोगों को मिस्टर बीकाणा का ख़िताब दिया जा रहा है। इस पर पर्यटन विभाग ने आयु सीमा 40 वर्ष कर दी। लेकिन इसका असर विपरीत हुआ। अनेक रौबीले भड़क गए। ऊंट उत्सव से पहले अनेक रौबीले मुंडन करवाने की धमकी देकर कलेक्टर कार्यालय के आगे पहुँच गए। इस पर पर्यटन अधिकारियों ने समझाइश की। इसके बाद से मिस्टर बीकाणा प्रतियोगिता दो भागों में होने लगी। 40 बरस से के कम और उससे अधिक।
क्रमश….जारी।