बिहार(सुपौल)-(कोशी ब्यूरों)-विधान सभा चुनाव 2020 में सुपौल विधान सभा क्षेत्र के अखाड़े में जेडीयू के कद्दावर नेता सह सूबे के काबीना मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव के खिलाफ ताल ठोक चुके निर्दलीय प्रत्याशी अनिल कुमार सिंह अब कानूनी दांव -पेंच के अखाड़े में मंत्री श्री यादव को चुनौती देते नजर आ रहे हैं ।24 दिसम्बर को अनिल कुमार सिंह के अधिवक्ता रवि रंजन ने पटना हाई कोर्ट के मुख्य न्यायधीश के समक्ष चुनाव -याचिका दायर कर लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की बिभिन्न धाराओं का उल्लेख करते हुए श्री यादव के निर्वाचन को रद्द करने की मांग किया है ।सनद रहे कि ,नामांकन संवीक्षा के मौके पर भी श्री सिंह द्वारा रिटर्निंग ऑफिसर सह अनुमंडल पदाधिकारी से श्री यादव के नामांकन पत्र में व्याप्त विसंगतियों की ओर ध्यान आकृष्ट कराते हुए नामांकन को रद्द करने की मांग की गई थी ,जिसके आधार पर श्री यादव को नोटिस भी भेजा गया था ,लेकिन बाद में आपत्ति को खारिज कर दिया गया महत्वपूर्ण यह है कि आरटीआई कार्यकर्ता रहे अनिल कुमार सिंह की चुनाव याचिका का आधार भी लोक सूचना अधिकार अधिनियम से प्राप्त सूचना ही है।याचिका में श्री यादव के नामंकन पत्र की वैधता पर सवाल उठाते हुए श्री सिंह कहते हैं कि श्री यादव द्वारा विहित वैध जमानत की राशि जमा नही की गई है और विहित प्रपत्र में शपथ पत्र भी दाखिल नही किया गया है ।इसके अलावा ,शपथ पत्र में देनदारी व अर्जित संपति का ब्यौरा भी नही दर्ज है ।श्री सिंह के अनुसार ,श्री यादव एनजीओ राष्ट्रीय सार्वजनिक मेला समिति के स्थायी सदस्य हैं ,जिसपर लाखों की देनदारी भी है ,लेकिन इसका भी जिक्र शपथ पत्र में नही है।

याचिकाकर्ता श्री सिंह का आरोप है कि बतौर ऊर्जा मंत्री ,उनके पटना स्थित सरकारी आवास पर बिजली विभाग का 05 लाख 61 हजार 360 रुपये बकाया है लेकिन चुनावी शपथ पत्र में बिजली बिल बकाया शून्य बताया गया है ।साथ ही शपथ पत्र में अपराध से जुड़े कॉलम को भी रिक्त रखा गया है ,जो चुनाव आयोग और आम लोगों को गुमराह करने का प्रयास है ।श्री सिंह के अनुसार , श्री यादव पूर्व के चुनाव में भी अपनी शैक्षणिक योग्यता को लेकर गलत जानकारी दे चुके हैं और वर्ष 2006 में तो कांग्रेस नेता प्रेमचंद्र मिश्रा ने एक मुकदमे में फरारी की बात को भी चुनाव आयोग के समक्ष उठाया था ।श्री सिंह कहते हैं कि ,श्री यादव का नामांकन पत्र विसंगतियों से भरा है ,लिहाज़ा उनका नामांकन रद्द होना चाहिए और इसी न्याय के लिए उन्होंने न्याय का दरवाजा खटखटाया है ।