अगर कोई राजनेता समाज और व्यवस्था का होकर जिए तो वो जनहितकारी होता है। ऐसा काम नोखा में कन्हैया लाल झंवर कर रहे हैं। आप चाहे तो नोखा क्षेत्र के किसी परिचित या सगे संबंधियों से पुख्ता कर सकते हैं। वे सर्व सुलभ है। बात सुनते हैं और निर्लेप भाव से तत्काल समाधान के प्रयास करते हैं जो भी शासन प्रशासन से रेस्पांस मिलता है यथा स्थिति से अवगत करवाते देते हैं। किसी को मुगालते में नहीं रखते। न झांसा पटी करते है। चक्कर लगवाने का तो सवाल ही नहीं। इस बात में कोई अतिशयोक्ति लगे तो कोई भी तस्दीक की जा सकती हैं। वैसे नोखा नगर पालिका के कामों से भी राज्य की अन्य स्वायत्तशासी संस्थाओं के कामों से तुलना की जा सकती हैं। खैर नोखा स्थित झवर के आवास पर एक पारिवारिक मामले की सुनवाई चल रही थी। मामला बाप बेटे और पुत्र वधु का था। पूरा परिवार डिस्टर्ब था। बाप बेटे के बीच रिश्तों में कड़वाहट। पुत्र और पुत्रवधू में भी असहजता। लड़की के परिजनों की भी अड़चन वाली भूमिका। सबका विश्वास झवर के प्रति एक जैसा। कन्हैया लाल झंवर ने सबको सुना। सबको अपनी जिम्मेदारी का भान करवाया। फेसला दिया और तीन दिन का समय भी। सबको कहा कि वे तीन दिन में फैसले पर विचार करके बता दें। फैसला बिखरे परिवार को जोड़ने वाला था। एक गांव के 50 …60 लोग बिजली की समस्या लेकर पेट्रोल पंप पर आए। सभी लोगों को सामने बैठाकर अधीक्षण अभियंता से लेकर मुख्य अभियंता तक बात की। कनिष्ठ अभियंता ने फोन नहीं उठाया। समाधान की स्थिति ग्रामीणों को हाथों बता दी। एक व्यापारी के फेक्ट्री के मसले पर कलक्टर की ओर से मांगी रिपोर्ट नहीं भेजने की बात पर संबंध अधिकारी से बात की। व्यापारी को कन्वे किया की अगले वर्किंग डे में रिपोर्ट भेज दी जाएगी। फलां अधिकारी से मिलना। एक व्यक्ति का फोन आया कि मेरे बैंक एकाउंट से किसी ने धोखाधड़ी से पौने दो लाख रुपए निकाल दिए। रिर्जव बैंक के नियम से पुलिस रिपोर्ट दर्ज होना जरूरी है। सी आई से फोन पर आग्रह किया प्रकरण की पड़ताल करके रिपोर्ट दर्ज करें। वापस परिवादी को फोन किया आवश्यक प्रमाण लेकर सी आई साहब के पास चलें जाए। गंगाशहर से कार्यकर्ता का फोन डिजायर के लिए आया। उसे नोखा रोड गंगा शहर स्थित एक दुकान में बुलाया। इस बीच भीनासर में जेठ मल सेठिया से मिले। लक्ष्मी नारायण लखोटिया के घर शोक जताया और शाम छह बजे विधानसभा क्षेत्र पूर्व में पट्टे जारी करने के लिए प्रशासन को नोटिस देने के लिए बैठक की। यह नोखा में 3 बजे उनके घर, पेट्रोल पंप से गंगाशहर आने तक पौने दो घंटे की उनकी कार्यशैली थी। यह कार्यशैली का यर्थात वे सभी जानते हैं जिनका उनसे काम पड़ा है। बाकी तो राजनीति और नेताओं की अपनी तासीर होती है।