-थाना क्षेत्र में खुलेआम चल रही शराब की भट्ठी, धंधेबाज शराबबंदी को दे रहे चुनौती..

-इन इलाकों में चलती है चोरी छिपे शराब की दर्जनों भट्ठियां-

-ऐसे बनती है कच्ची शराब

बिहार(सुपौल)-ओम एक्सप्रेस ब्यूरों- जिले के त्रिवेणीगंज थाना क्षेत्र में शराबबंदी कानून को ठेंगा दिखाकर धड़ल्ले से देशी चुलाई शराब निर्माण किया जा रहा है। जबकि राज्य सरकार द्वारा जमीनी स्तर पर शराबबंदी का सख्ती से पालन को लेकर कड़े कानून बनाये गए है।अवैध शराब कारोबारियों पर लगाम लगाने को लेकर पंचायत के लेकर प्रखंड स्तर तक संबंधित विभागीय पदाधिकारियों एवं प्रतिनिधियों को भी शराब बंदी के नियंत्रण को लेकर कई दिशा निर्देश व आवश्यक सुझाव भी जिला के वरीय पादधिकारियों द्वारा दिया जा चुका है।लेकिन इन तमाम कवायदों के बावजूद इलाके में शराब कारोबारियों द्वारा धड़ल्ले से बिना किसी प्रशासनिक भय के देशी शराब का कारोबार यहां बड़ी तेजी से फल फूल रहा है व प्रखंड के ग्रामीण इलाकों में कच्ची शराब की दर्जनों भट्ठियां बेरोकटोक फल फूल रही हैं।हैरत की बात तो यह है कि बीते कई महीनों से इस इलाके में शराब निर्माण में लगे शराब माफिया खुलेआम देशी शराब की भट्टी चला रहे है।बावजूद इसके वर्तमान समय में मजबूत प्रशासनिक तंत्र को इसकी भनक भी नहीं लग रही।शराबबंदी के ताजा हालात पर गौर करें तो स्थिति यह है कि थाना क्षेत्र के विभिन्न क्षेत्रों में कच्चे शराब निर्माण का धंधा लघु उद्योग की तरह अपना पांव पसारता जा रहा है.

इन इलाकों में चलती है चोरी छिपे शराब की दर्जनों भट्ठियां-

प्रखंड क्षेत्र के मचहा, कुशहा, डपरखा, हेमनतंज,बरकुरवा,बैजनाथपूर,पतरघट्टी आदि दर्जनों पंचायत के इलाकों में प्रशासनिक शिथिलता के चिन्हित स्थलों पर गुप्त तरीके से देशी शराब निर्माण कारोबार बदस्तूर जारी है।विश्वनीय सूत्रों की माने तो एकांत सुनसान जगहों पर बांस फूस से अपना आशियाना तैयार कर ये माफिया इन ठिकानों पर बेधड़क देशी शराब निर्माण कर मोटी कीमतों पर बिक्री कर शराब का कारोबार जारी है। खैर जो भी हो इन देशी शराब के अड्डों पर सुलगने वाले कच्ची शराब की लत से इस इलाके के युवा पीढ़ी बर्बाद हो रहे है।ग्रामीणों में चिंता का विषय बना है शराबबंदी में देशी शराब निर्माण कारोबार इलाके के कई ग्रामीणों में यह चर्चा का विषय बना हुआ है कि पुलिस सब जानती है बावजूद इसके इन शराब माफियाओं एवं कारोबारियों ओर कोई भी कठोर कार्रवाई नहीं होती।जिससे इन इलाकों में शराब धंधे में लगे कारोबारियों के हौसले बुलंद हैं।ग्रामीण बताते हैं कि इस तरह से अवैध शराब का कारोबार किया जाना यह दिखाता है कि या तो पुलिस इस मामले में पंगु बनी हुई है या तो पुलिस की मिलीभगत से इस तरह का कारोबार किया जा रहा है। पर इससे नुकसान सिर्फ आम आदमी का है।

ऐसे बनती है कच्ची शराब-

पिछले कई वर्ष से कच्ची शराब बनाने वालों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि एक लीटर शराब को बनाने में सड़ा-गला गुड़, शीरा, नौसादर, यूरिया, धतूरे के बीज, आक्सीटोसिन इंजेक्शन और यीस्ट को आपस मे मिलाया जाता है। शराब के कारोबारियों ने भी कहा कि जब ग्राहक नशा कम होने की बात करते हैं तब मिश्रण में कुछ तत्वों जैसे नौसादर, धतूरे के बीज और आक्सीटोसिन (वो इंजेक्शन जो गाय-भैंस का दूध उतारने के लिए दिया जाता है) की मात्रा बढ़ा दी जाती है। एक शराब बनाने वाले ने मौत की वजह पूछने पर बताया, “जब तक ये तत्व एक निश्चित मात्रा में रहते हैं नशा बढ़ता है लेकिन कई बार कोई तत्व ज्यादा हो जाता है, तो शराब जहरीली हो जाती है। इसके सेवन से जान जाती है।