– खुद लेते है जोखिम सरकार को करनी चाहिए सहायता

पत्रकार अपनी जिंदगी को खुद जान जोखिम में डाल करके सरकारी, मौजूदा शासन और जिला प्रशासन की आवाज जनता तक व जनता की आवाज शासन प्रशासन तक पहुंचाने का काम इस संकट काल में आज-कल कर रहे है। इसके साथ ही देश सहित राज्यो में फैला कोरोना वायरस जैसी भयंकर महामारी में पुलिस अधिकारियों व डाक्टरो सहित अस्पतालों में पूरी तरह से मुस्तैद खड़ा है। किन्तु जहाँ पत्रकारों की बात आती हैं। सरकार ,शासन ,प्रशासन नेता अभिनेता सब सौतेला व्यवहार करने लगते हैं.यहा तक सांसद ,विधायक ,नगरसेवक व धनाढ्य व्यक्तियों के एक फोन काल या मैसेज करने पर अपने बाल बच्चों को छोड़ कर उनके पास भागा चला जाता हैं तथा उनके हर कथन व कार्यो को बढ़ा चढ़ा कर उनको काला से सफेद बना देने पर भी आज वही लोगों ने पत्रकारों से मुंह मोड़ लिया हैं।

कलम के सिपाही प्रिंट मीडिया व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में कार्यरत दर्जनों लोग आज इस संकट काल में शासन व प्रशासन के साथ कंधा से कंधा मिलाकर काम कर रहे हैं । उसके बावजूद भी कोई उनको‌ पूछने वाला नहीं है कि आपके वाहनों में डीजल और पेट्रोल कहां से आता है.आपके घर का खर्चा कैसे चलता है ?

इसके विपरीत मुख्यमंत्री केआदेशानुसार सरकारी कर्मचारियों को मास्क ,दस्ताना ,सैनिटाइजर साबुन जैैैसी सारी सुविधाएं उपलब्ध करवाई गयी हैं. सुरक्षा के दृष्टि से उपलब्ध होना भी चाहिए।

लेकिन संविधान के चौथे स्तंभ के लिए इस संकट काल में सरकार ने कोई भी सुविधा उपलब्ध नही करवाया है। दिल्ली सरकार ने अस्पतालों में इलाज कर रहे डाॅक्टरों तथा नर्सो के लिए एक करोड़ रुपये का जीवन बीमा देने के लिए ऐलान किया हैं । वही महाराष्ट्र सरकार ने 50 लाख रुपये जीवन बीमा देने के लिए ऐलान किया हैं , किन्तु देश के चौथे स्तंभ के पास कल का राशन हैं कि नहीं.ऐसा पूछने वाला कोई भी इंसान नहीं हैं ?
महामारी से पहले जब जिसकी ( शासन ,प्रशासन , नेताजी ) जरुरत पड़ी तब पत्रकारों को मैसेज कर बुला लेते थे।इनसे अपनी खबर छपवाकर जहाँ अपनी लाल करते थें उन्ही पत्रकारों को आज संकटकाल में कोई पूछने वाला नहीं हैं।

इस महामारी से लड़ने के लिए सांसद व विधायक व धनाढ्य लोग आर्थिक मदत सरकार को दे रहे है.संकट काल में देना भी चाहिए। किन्तु सुबह से शाम तक पेन डायरी व कैमरा लेकर घुमने वाला पत्रकारो पर सरकार की क्यो नही नजर पड़ी…..आज यह सवाल उठता हैं ?

इस संकट काल में पत्रकार अपने परिवार को छोड़ कर शहर के हर छोटी बड़ी घटनाओं पर नजर बनाने के लिए दर बदर भटकता रहता हैं। नागरिकों को भोजन ,राशन मिल रहा हैं कि नही ? शासन प्रशासन के अधिकारी कर्मचारी काम कर रहे हैं कि नहीं ? शासन ने आज नागरिकों के लिए क्या कहा.? आदि खबरों को एकत्रित कर शाम को खबरें बनाकर अखबार के कार्यालय में भेजता हैं तो सुबह इसकी जानकारी नागरिकों तक पहुंचती हैं।

कोरोना वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को आसानी से संक्रमित कर सकता है। पत्रकारिता धर्म हमें हर छोटी से बड़ी खबर हर सूरत में जनता तक पहुंचाने की ज़िम्मेदारी देता है। जिसके कारण सारे पत्रकार बंधु हर सूरत में अपना ये धर्म बख़ूबी निभा रहे है।

कोरोना वायरस की महामारी बहुत ही गंभीर समस्या हैं इस महामारी से कोई भी व्यक्ति संक्रमित हो गया तो वह बहुत ही तेजी से लोगो में फैला देता हैं । एक पत्रकार दिन भर में कई जगहों जाता हैं.आम जनता से लेकर अफसरों, राजनीतिज्ञों, स्वाथय्य कर्मियों इत्यादि से मिलता है । ऐसे में उसके संक्रमित होने का ख़तरा कई गुना बढ़ जाता है.और यदि वो संक्रमित हो गया तो उससे ज़्यादा तेज़ी से संक्रमण फैलाने वाला माध्यम और कोई नहीं हो सकता इसीलिए पत्रकार बंधुओं को अपने ‌परिवार के सुरक्षा के लिए सबसे ज़्यादा सावधानी रखने की जरुरत है।

सरकार द्वारा नही पूछे जाने के कारण:

1– पत्रकारिता आज चाटुकारिता व व्यवसाय बन गया हैं.नेता , अफसरशाही ने जो कह दिया हैं वही समाचार बनाकर जनता के सामने परोस दिया.खोजी पत्रकारिता का जमाना चला गया.जब एक कलमकार से पूरे शासन और जिला प्रशासन में घबराहट पैदा होती थी।

2– दूसरा कारण हैं कि आज कोई भी उठता हैं पत्रकार का चोला धारण करता हैं सुबह से शाम तक इसकी उसकी चाटुकारिता कर शाम ढलते ही मधुशाला में चला जाता हैं चाहे उसे क ख ग घ ड़ का ज्ञान हो या नहीं। किन्तु पूरा दिन पत्रकार का चोला धारण कर फिरता रहता हैं । ऐसे चोला धारण करने वाले कई व्यक्ति पीटे भी जाते है,किन्तु किसी को पता नहीं चलता हैं पीटने वाला व्यक्ति यही समझता हैं कि मैने पत्रकारिता करने वाले पत्रकार को पीटा है, अब मेरे से बड़ा गुंडा कौन हैं. समाज में ऐसे लोगों द्वारा पत्रकारों की खुब बदनामी की जाती हैं जिसके कारण पत्रकार का अस्तित्व लोगों की नजर में गिर जाता हैं.।

3—तिसरा कारण हैं कि बिना बुलाऐ दर्जनों पत्रकार नेताओं अभिनेताओं ,शासन ओर जिला- प्रशासन के
एक बुलावे पर पत्रकार मौके बैमोके पहुँच जाते है. जिसे क ख ग घ ड़ तक ज्ञान नहीं होता वही सवाल पहले दागता हैं तो सामने वाला समझ जाता हैं सब पत्रकार कम ओर बेवकूफ ज्यादा लगता है।

4— चौथा सबसे बड़ा कारण हैं कि कुछ होशियार पत्रकारों ने अपनी सुरक्षा के लिए पत्रकार संघ बना कर रखा हैं इनके पत्रकार संघों में पत्रकार का चोला धारण करने वाले सदस्य होते है। पत्रकार संघ बनाने वाला शहर में घूम घूम कर कहता हैं कि मै पत्रकारों का अध्यक्ष हूं मेरे पास में जिले के सभी पत्रकार हैं।अधिकारियों नेताओं के यहाँ अपना उल्लू सीधाकर निकल जाता हैं।

अब समय आ गया हैं कि इस कोरोना महामारी के बाद इन फर्जी चोला धारण करने वालो का मुखौटा उतार फेका जाये तभी सच्चा व सही कलमकार पत्रकार अपना अस्तित्व बचा सकता हैं।