ओम एक्सप्रेस।आमतौर पर किसी करदाता की मौत के बाद उसका इनकम टैक्स रिटर्न (आईटीआर) जमा नहीं किया जाता है। ऐसा करना कानूनन गलत है। नियम के अनुसार, हर उस व्यक्ति के लिए आईटीआर दाखिल करना जरूरी है, जिसकी कमाई संबंधित वित्त वर्ष में टैक्स के दायरे में आती है। चाहे उसकी मौत ही क्यों न हो गई हो।
आयकर कानून-1961 की धारा 159 के तहत अगर किसी व्यक्ति की मौत हो जाती है तो उसके कानूनी वारिस को टैक्स का भुगतान करना होता है।
इसलिए अगर आप कानूनी वारिस हैं तो आपको सबसे पहले आयकर विभाग से संपर्क कर खुद को मृतक के कानूनी प्रतिनिधि के रूप में पंजीकृत कराना होगा। इसके बाद ही उसकी ओर से आईटीआर दाखिल करने की इजाजत मिलती है। मृत करदाता का आईटीआर दाखिल करने के बाद आयकर विभाग स्थायी रूप से उसका खाता बंद कर देता है। साथ ही उसका पैन भी रद्द हो जाता है।
ऐसे होती है आय की गणना दरअसल, वित्त वर्ष की शुरुआत से मौत तक अर्जित आय को मृतक की आय माना जाता है। इसके आधार पर ही आय की गणना होती है। अगर मौत से पहले विभाग की ओर से कोई नोटिस जारी होता है तो उसकी जिम्मेदारी भी वारिस की ही होगी। आईटीआर दाखिल करने के बाद रिफंड मृत करदाता के खाते में आएगा। कानूनी वारिस बैंकिंग प्रक्रिया के आधार पर उसे प्राप्त कर सकता है।
ये दस्तावेज जरूरी
बैंक स्टेटमेंटट, निवेश के कागजात और अन्य संबंधित दस्तावेज जरूरी। कानूनी वरिस के रूप में मृत करदाता का रिटर्न भरने के लिए सबसे पहले आयकर विभाग के पास रजिस्टर करना होगा। इस प्रक्रिया के लिए मृत्यु प्रमाणपत्र, मृत करदाता का पैन कार्ड, कानूनी वारिस का सेल्फ प्रमाणित पैन कार्ड और प्रमाणपत्र की कॉपी जरूरी है।
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