(सोनी राय).वर्ष 2023 में नवंबर 01 वैसे तो कैलेण्डर का एक साधारण सा ही दिन प्रतीत होता है लेकिन अभी से सुहागिन महिलाओं ने उसकी तैयारी शुरु कर दी है। वह दिन उत्तरी भारत की सुहागिनों के लिए बहुत बड़ा दिन है क्यों कि उस दिन करवाचौथ है। आज के समय में करवाचौथ किसी पर्व से कम नहीं माना जाता है। ये औरतों खासकर शादी शुदा औरतों का ही त्योहार है। लेकिन अब वे कुंवारी लड़कियां जिनका रिश्ता तय हो गया है, वे भी यह उपवास करती हैं। इस दिन औरतें अपने पति की लंबी उम्र की कामना करते हुए पूरे दिन का उपवास करती हैं। औरतें शाम को चांद देखने के बाद ही अपना उपवास खोलती हैं।

हालांकि यह एक जटिल उपवासों में से एक है लेकिन तब भी महिलाएं पूरे वर्ष इसका इंतजार करती हैं। नई शादीशुदा महिला के लिए तो यह बहुत ही खास होता है जब उन्हें सज धज कर फिर से दुल्हन बनने का मौका मिलता है। इस त्योहार के आने से एक महीने पहले ही इसकी तैयारी के लिए बाजार में चहल पहल दिखने लगती है। इस समय साडिय़ां, गहने, मेकअप, चूड़ी, बिंदी पार्लर वालों की सबसे अधिक बिक्री होती है। औरतों को अपने पति व अन्य रिश्तेदारों से कई प्रकार के तोहफे मिलते हैं।

इस त्योहार के दिन दोस्त रिश्तेदार एक दूसरे के साथ मिठाइयां प्रसाद वगैरह बांटते हैं। इस त्योहार के दिन औरतों को अपने पूरे परिवार के साथ होने का मौका भी मिलता है। जिससे आपसी प्रेम व भाईचारा बढ़ता है। यह कार्तिक के महीने में अक्सर अक्टूबर या नवंबर में ही मनाया जाता है। सूर्य उगने से पहले ही यह उपवास शुरु कर दिया जाता है। इस दिन औरतें निर्जला उपवास करती हैं और चाय पानी शाम को चांद देखने के बाद ही पीती हैं। इस व्रत से जुड़ी इतिहास की कहानियां हैं जिनसे यह व्रत जुड़ा हुआ है एक समय एक वीरवती थी। वह अपना पहला करवाचौथ करने के लिए अपने मायके आई। उसने पूरे दिन निर्जला उपवास किया। शाम को अपनी बहन को भूख व प्यास से व्याकुल देख कर उसके सात भाइयों ने आग जलाकर झूठा चांद दिखाते हुए उसे पूजा करने को कहा। वह मान गई और पूजा करके जैस्े ही उसने पहला निवाला अपने मुंह में डाला। वैसे ही उसके पति की मौत का संदेश आ गया। वह रोती बिलखती रही। एक देवी प्रकट हुई और उसे चांद का सच बताया। फिर उन्होंने उसे दुबारा से उपवास रख उसे पूरा करने को कहा। रानी ने वैसे ही किया और उसके पति के प्राण वापस आ गए।

पूरे विश्व में भारत ही ऐसी जगह है जहां औरतें अपने जीवनसाथी के लिए निर्जल उपवास करती हैं। वैसे बदलते हुए समय और धारणाओं ने करवाचौथ के मायनों को भी बदल दिया है। इसका भी व्यावसायिकरण हर साल बढ़ता जा रहा है। इन दिनों हल्वाइयों, मेहंदी वाले, चूड़ी वाले बहुत अधिक व्यस्त हो जाते हैं। उनकी बिक्री भी खूब होती है। इसलिए इन दिनों ये सब चीजों के दाम भी चार गुना बढ़ जाते हैं। इसके अलावा अब ब्यूटी पार्लर, रेस्तरां आदि भी इस समय में खूब कमार्ई करते हैं।

रेस्तरां और होटलों में तो अभी से तैयारियां शुरु हो गई हैं। उस दिन के लिए खास मेन्यू व सजावट की जाती है। पूरा दिन का उपवास रखने के बाद दंपत्ति रेस्तरां में जाकर खाने का मजा उठाते हैं। और यह चलन अब बढ़ता ही जा रहा है। इस दिन कई होटल विभिन्न कार्यक्रमों का भी आयोजन करते हैं। जैसे तंबोला, डांस प्रतियोगिता आदि। इस प्रकार के आनंद के साथ करवाचौथ इतना खास और लोकप्रिय पहले कभी न था।