जब सरदार शहर उप चुनाव का परिणाम आ चुका होगा तो केंद्रीय राज्य मंत्री और उप चुनाव प्रभारी अर्जुन राम मेघवाल भारतीय जनता पार्टी और राजस्थान की राजनीति में दूसरा चेहरा होंगे। सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी की जन सहानुभूति वाले सरदार शहर सीट पर कांग्रेस की अगर जीत होती है तो कोई मायने नहीं है।भाजपा की जीत से पार्टी में कई दूरगामी और व्यापक नतीजे आ सकते है। और तो और अर्जुन राम मेघवाल के राजनीतिक अक्स बदल सकते हैं। बेशक अर्जुन राम मेघवाल मेहनती, धुन के पक्के और कर्मशील व्यक्ति हैं। घर की राजनीति में भले ही उन्हें पिटे हुए प्यादे माना जाता हो या मोदी की लोकप्रियता उनकी जीत का कारण बताया जा रहा हो वे कम मेहनती नहीं है। वे पार्टी, संगठन और सरकार के कामों में लगे ही रहते हैं। जिस तरह से सरदार शहर चुनाव में मेघवाल ने काम किया वे पार्टी में उनके समर्पण को दर्शाता है। वैसे इस उप चुनाव में पूरी भाजपा ने जान झोंक दी थी। बाहर निकले राज कुमार रिणवा की वापसी हुई। कई भाजपा नेता यहां तक कि भाजपा प्रदेशाध्यक्ष अपने को साबित करने में लगे रहे, परंतु मेघवाल ने अपना होना साबित किया है। सरदार शहर में मतदान का प्रतिशत दर्शाता है कि किसी और से कोई कोर कसर नहीं छोड़ी गई है। राजनीति की प्रकृति है कि कोई नेता निर्विवाद या जन आलोचना के बिना नेता हो ही नहीं सकता। सबसे पहले तो अपने ही भीतर के प्रतिद्वंदियों की आलोचना का शिकार होना पड़ता है। फिर विरोधी पार्टी और जनता की आलोचना झेलनी होती है। अर्जुन राम मेघवाल भी इससे अछूते नहीं है। सरदार शहर उप चुनाव की पूरी प्रक्रिया में मेघवाल ने संगठन से तालमेल, नेताओं से समन्वय और कार्यकर्ताओं को जोड़ने का काम किया। इस बीच संगठन में अपनी पैठ भी बढ़ाई। अगर भाजपा उप चुनाव जीतती है तो मेघवाल सशक्त होकर ही उभरेंगे।

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