– बाल मन को छूती है राजाराम स्वर्णकार की कविताऐं  

बीकानेर, । शब्दरंग साहित्य एवं कला संस्थान के तत्वावधान में कवि -कथाकार राजाराम स्वर्णकार की पुस्तक “म्हारी लाडो” लोकार्पण किया गया । कार्यक्रम में पुस्तक के रचयिता राजाराम स्वर्णकार ने चुनिंदा कविताएं प्रस्तुत की ।

     पवनपुरी में आयोजित लोकार्पण कार्यक्रम में मुख्य अतिथि राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के कोषाध्यक्ष वरिष्ठ साहित्यकार कवि-कथाकार राजेन्द्र जोशी ने कहा कि आज लिखी जा रही बाल कविताओं में “म्हारी लाडो” की रचनाएँ  बेहतर है ।  जोशी ने कहा कि “म्हारी लाडो” कविता संग्रह  लोक जीवन का कलात्मक चित्र है।  इस कविता संग्रह में बच्चों का बचपन  बोलता है । यह संग्रह बच्चों को अपनी जड़ों से जोड़ती है।  भाषा बिलकुल अपनी है। 

    कार्यक्रम के अध्यक्ष वरिष्ठ कवि भवानी शंकर व्यास विनोद ने कहा कि स्वर्णकार की कविताएं बाल मनोविज्ञान से जुड़ी रचनाएं है जिनमे बाल्यावस्था की सभी अवस्थाओं के चित्र है । विनोद ने विश्व बाल साहित्य से स्थानीय बाल साहित्य तक की गौरवशाली समृद्ध परंपरा की चर्चा करते हुए कहा कि राजाराम स्वर्णकार की कविताओं में कल्पनाशीलता, सरलता, विरलता और पारदर्शिता बालमन को छूने वाली है । विशिष्ठ अतिथि संपादक व्यंग्यकार डॉ अजय जोशी ने कहा की पुस्तक में कुल 57 रचनाएं है जिनमे चित्रात्मकता, विविधता की महक है ।

    कार्यक्रम में वरिष्ठ लेखक समीक्षक अशफाक कादरी ने पुस्तक की समीक्षा प्रस्तुत करते हुए कहा कि पुस्तक की कविताओं में बचपन की महक और मौलिक अहसासात है ।  कार्यक्रम में कवि राजाराम स्वर्णकार ने अपनी कविता “सुपनो”, माखी, नींद, बल,भासा आप आपरी” सुनाकर बाल मन को अभिव्यक्त किया ।

   कार्यक्रम हिन्दी- राजस्थानी की वरिष्ठ साहित्यकार श्रीमती आनंद कौर व्यास, प्रेरणा प्रतिष्ठान के अध्यक्ष प्रेम नारायण व्यास,श्रीमती सरोज बिस्सा, गोविंद जोशी, कवि अब्दुल शकूर सिसोदिया, संगीतज्ञ अहमद बशीर सिसोदिया ने भी विचार रखे ।