– जहां हमारी सेहत का दुश्मन बन गया है वहीं पर्यावरण को दूषित करने व जानवरों की मौत का कारण बन गया है !
-आइये हम सभी पर्यावरण व सेहत को स्वस्थ रखने व जानवरों की सुरक्षा के लिए प्लास्टिक पॉलीथिन प्रयोग न करने का संकल्प लें और दूसरों को भी इसके लिए जागरूक करें

✍🏼तिलक माथुर*

पॉलिथीन और प्लास्टिक गांव से लेकर शहर तक लोगों की सेहत बिगाड़ रहे हैं। गांवों व शहरों का ड्रेनेज सिस्टम अक्सर पॉलिथीन से भरा मिलता है, ट्रेचिंग ग्राउंड में आधे से ज्यादा कचरे में केवल पॉलीथिन ही पायजाता है। पॉलीथिन पर प्रतिबंध होने के बावजूद इसका प्रयोग अब भी लगातार हो रहा है। पॉलीथिन व प्लास्टिक के उपयोग से जहां पर्यावरण दूषित हो रहा है वहीं जानवरों की मौत का कारण बन रहा है इसी प्रकार हमारी सेहत का दुश्मन बन गया है। प्लास्टिक का उपयोग लोगों की सेहत पर दुष्प्रभाव डाल रहा। प्लास्टिक के गिलासों में चाय या फिर गर्म दूध का सेवन करने से उसका केमिकल लोगों के पेट में चला जाता है, इससे डायरिया के साथ ही अन्य गम्भीर बीमारियाँ होती हैं। चिकित्सकों ने प्लास्टिक के गिलासों और पॉलिथीन में गरम पेय पदार्थों का सेवन नहीं करने की सलाह दी है।

उल्लेखनीय है कि पॉलिथीन का उपयोग न केवल वर्तमान के लिये बल्कि भविष्य के लिये भी खतरनाक होता जा रहा है। पॉलिथीन पूरे राज्य व देश की गम्भीर समस्या है। पहले जब खरीदारी करने जाते थे तो कपड़े का थैला साथ लेकर जाते थे, किन्तु आज खाली हाथ जाकर दुकानदार से पॉलिथीन माँगकर सामान लाते हैं। पहले अखबार के लिफाफे होते थे किन्तु उसके स्थान पर आज पॉलिथीन का उपयोग किया जा रहा है। ज्ञात रहे कि पृथ्वी तल पर जमा पॉलिथीन जमीन का जल सोखने की क्षमता खत्म कर रही है। इससे भूजल स्तर गिर रहा है। सुविधा के लिये बनाई गई पॉलिथीन आज सबसे बड़ी असुविधा का करण बन गई है। प्राकृतिक तरीके से नष्ट न होने के कारण यह धरती की उर्वरक क्षमता को धीरे-धीरे समाप्त कर रही है।प्लास्टिक का प्रयोग हमारे जीवन में सर्वाधिक होने लगा है। इसका प्रयोग नुकसानदायक है यह जानते हुए भी हम धड़ल्ले से इनका इस्तेमाल कर रहे हैं।

यदि हमनें अब भी इसके प्रयोग पर रोक नहीं लगाई तो इसके परिणाम बहुत घातक होंगे। प्लास्टिक को जलाने से भी नुकसान हो रहा है, पर्यावरण दूषित हो रहा है, इसका जहरीला धुआं स्वास्थ्य के लिये खतरनाक है। पॉलिथीन की पन्नियों में लोग कूड़ा भरकर फेंकते हैं। कूड़े के ढेर में खाद्य पदार्थ खोजते हुए पशु पन्नी निगल जाते हैं। ऐसे में पन्नी उनके पेट में चली जाती है। बाद में ये पशु बीमार होकर दम तोड़ देते हैं। प्लास्टिक और पॉलिथीन गांव से लेकर शहर तक लोगों की सेहत बिगाड़ रहे हैं। गौरतलब है कि पॉलिथीन पर प्रतिबन्ध है, बावजूद इसके दुकानदार खुलेआम पॉलिथीन का प्रयोग करते पाये जाते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्यों नहीं सफल होता है पॉलिथीन पर प्रतिबन्ध ? सरकार पॉलीथिन पर रोकथाम के लिए हर तरह से लोगों को प्रेरित कर रही है, मगर इसका कितना असर हो रहा है वो सर्वविदित है। जब तक हर व्यक्ति स्वयं पॉलीथिन के उपयोग पर प्रतिबंध नहीं लगाएगा तब तक यह अभियान सफल होने वाला नहीं, क्योंकि सरकार भी पॉलीथिन के उपयोग पर प्रतिबंध के प्रयास तो कर रही है मगर इसके उत्पादन पर प्रतिबंध लगाने की ओर ठोस कदम नहीं उठा रही, जिसकी वजह से यह अभियान सफल नहीं हो पा रहा है। सरकार को चाहिए कि पॉलीथिन व प्लास्टिक के उत्पादन पर सख्ती से रोक लगाए। क्या आपको मालूम है कि पर्यावरण एवं स्वास्थ्य दोनों के लिये नुकसानदायक 40 माइक्रॉन से कम पतली पॉलिथीन पर्यावरण की दृष्टि से बेहद नुकसानदायक होती है। चूँकि ये पॉलिथीन उपयोग में काफी सस्ती पड़ती हैं, इसलिये इनका उपयोग धड़ल्ले से किया जाता है। कुल मिलाकर पॉलिथीन मनुष्य एवं सभी जीव-जन्तुओं के लिये बहुत हानिकारक है। इसकी रोकथाम से ही इससे निजात पाई जा सकती है।

आज समाज के हर व्यक्ति को पॉलिथीन के उपयोग से बचना चाहिए तभी हम इस समस्या से छुटकारा पा सकेंगे। *पॉलीथिन रोकने के उपाय* जब भी घर से बाजार निकले कपड़ा या जूट बैग साथ लेकर अवश्य जायें। यदि दुकानदार पॉलीथिन में सामान दे रहा है तो इसका विरोध करें और आगे से उसे पॉलीथिन प्रयोग न करने की सलाह दें। न खुद और न ही दूसरों को प्लास्टिक बैग का उपयोग करने दें। अपने बच्चों को भी प्लास्टिक बैग के नुकसान के बारे में बतायें। दुकानदारों को भी पॉलीथिन के प्रयोग से बचना चाहिए, अपने ग्राहकों से कपड़े का बैग लाने की लिए प्रेरित करना चाहिये। ‘पॉलीथिन का न करें प्रयोग’ इस शब्द को अपने परिवार और दोस्तों तक फैलाएं। आइये हम सभी पर्यावरण, सेहत व जानवरों के हित में प्लास्टिक पॉलीथिन प्रयोग न करने का संकल्प लें और दूसरों को भी इसके लिए जागरूक करें !