

अब तक न किताब खरीदने के पैसे मिले न ही जिलों में किताबें ही पहुंची
रिपोर्ट – अनमोल कुमार
पटना : बिहार के सरकारी स्कूलों में नया शैक्षिक सत्र 1 अप्रैल से शुरू हो चुका है। प्रारंभिक स्कूलों के बच्चे 1 अप्रैल से ही अपनी-अपनी नई कक्षाओं में आ रहे हैं, लेकिन न तो उन्हे अबतक किताब खरीदने के पैसे सरकार की ओर से दिए गए हैं और न ही जिलों में किताबें ही पहुंची हैं। हालात ये है कि नये सत्र के पहले महीने का आधा समय बीत जाने के बावजूद फिलहाल किताब को लेकर शिक्षा महकमा में राज्य मुख्यालय से लेकर जिला तक कोई सुगबुगाहट नहीं आरंभ हुई है। ऐसे में इन डेढ़ करोड़ से अधिक बच्चों को नयी कक्षा की पाठ्यपुस्तक के लिए अभी और इंतजार करना होगा।
चार दिन पूर्व पीएबी की बैठक में केन्द्र सरकार ने बच्चों की किताब के लिए 520 करोड़ की स्वीकृति दे दी है लेकिन अभी इस राशि को बच्चों तक पहुंचने में तमाम प्रक्रिया से गुजरना अभी बाकी है।
गौरतलब है कि मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा अधिकार कानून (आरटीई) के तहत प्रारंभिक स्कूलों के बच्चों को निशुल्क किताबें मुहैया करानी है। केन्द्र प्रायोजित समग्र शिक्षा के तहत इसके लिए राशि का प्रावधान किया जाता है। परंतु बिहार में 2018 से किताब क्रय के पैसे बच्चों को खाते में दिए जा रहे हैं और टेक्सटबुक द्वारा अधिकृत प्रकाशकों द्वारा उपलब्ध कराई गई किताबें खुले बाजार से उन्हें खरीदनी है परंतु खाते में पैसा आने के बाद उस राशि का बच्चों का परिवार दूसरी जरूरत में उपयोग कर ले रहा है।
विगत चार साल से बिहार में किताब के बदले पैसे की व्यवस्था इसलिए हुई, क्योंकि किताब अप्रैल से आरंभ होने वाले सत्र में बच्चों को सितम्बर से नवम्बर माह तक मिलती थीं और इस बार भी लगता है कि वही स्थिति है। पिछले सत्र का पैसा बच्चों के खाते में अगस्त माह के आखिर में भेजा गया था।