

मोदी सरकार के नए कृषि कानूनों (New Agriculture Laws 2020) की वापसी का दबाव बनाने के लिए दिल्ली के बॉर्डर पर डटे किसानों के आंदोलन (Farmers Agitation) का बुधवार को 21वां दिन है. दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का प्रदर्शन जारी रहेगा या उन्हें कहीं और भेजा जाएगा, इसपर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है. चीफ जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस वी रामसुब्रमण्यम की बेंच इस याचिका पर सुनवाई कर रही है.
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने पूछा कि आप चाहते हैं बॉर्डर खोल दिए जाएं. जिसपर वकील ने कहा कि अदालत ने शाहीन बाग केस के वक्त कहा था कि सड़कें जाम नहीं होनी चाहिए.बार-बार शाहीन बाग का हवाला देने पर चीफ जस्टिस ने वकील को टोका, उन्होंने कहा कि वहां पर कितने लोगों ने रास्ता रोका था? कानून व्यवस्था के मामलों में मिसाल नहीं दी जा सकती है. चीफ जस्टिस ने सुनवाई के दौरान पूछा कि क्या किसान संगठनों को केस में पार्टी बनाया गया है.


लॉ स्टूडेंट ऋषभ शर्मा ने यह अर्जी लगाई थी. उनका कहना है कि किसान आंदोलन के चलते सड़कें जाम होने से जनता परेशान हो रही है. प्रदर्शन वाली जगहों पर सोशल डिस्टेंसिंग नहीं होने से कोरोना का खतरा भी बढ़ रहा है. उन्होंने अपनी याचिका में कहा है कि किसानों को दिल्ली की सीमाओं से हटाकर सरकार की तरफ से आवंटित तय स्थान पर स्थानांतरित किया जाना चाहिए. इसके साथ ही किसानों को प्रदर्शन के दौरान कोरोना गाइडलाइन्स का पालन भी करना चाहिए.


दूसरी ओर, कृषि कानून वापस लेने की मांग पर अड़े किसानों ने बुधवार को चिल्ला बॉर्डर पर दिल्ली-नोएडा लिंक रोड को ब्लॉक कर दिया है. इस वजह से वहां जाम के हालात बने हुए हैं. सड़कों पर गाड़ियों की लंबी कतार लगी हुई है. किसानों ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से बातचीत के बाद 13 दिसंबर की देर रात चिल्ला बॉर्डर को खोलने का फैसला किया था.
