आबूरोड। राज्यसभा सांसद नीरज डांगी ने केंद्रीय बजट पर अपनी प्रतिक्रिया जारी करते हुए कहा कि केन्द्र सरकार का बजट आमजनता की उम्मीदों को धराशाई कर गया। जहां देश में कोरोनाकाल में अर्थव्यवस्था लडखडा गई थी, वहीं मध्यम वर्ग व विशेषरूप से नौकरी पेशे से आजीविका चलाने वाले परिवार पर भी इसका दुष्प्रभाव पडा था। कई परिवार रोजगार से वंचित हो गए, एैसे में देश की जनता को केन्द्र सरकार से इस बजट में कई उम्मीदें थी और केन्द्र सरकार को भी इस ओर सोचना चाहिए था लेकिन केन्द्र सरकार कागजी व हवाई बजट प्रस्तुत करने से पीछे नहीं रही। सांसद डांगी ने कहा कि पूर्ववर्ती यूपीए सरकार के समय शुरू की गई मनरेगा योजना वर्तमान परिस्थितियों में जहां ग्रामीण क्षेत्र की जनता के लिए वरदान साबित हुई है उसी तर्ज पर केन्द्रीय बजट से शहरी क्षेत्र के लोगों को उम्मीद थी कि सरकार एैसी ही कोई योजना शहरी क्षेत्र के लिए लाऐ, जिससे शहरी क्षेत्र में रोजगार की गारंटी तय हो सकें लेकिन केन्द्र सरकार ने इस महत्वपूर्ण उम्मीद को इस बजट में नजरअंदाज किया। मध्यम वर्ग के लोग पिछले 8 साल से टैक्स स्लैब में बदलाव की उम्मीद लगाये बैठे थे लेकिन इस बार भी केन्द्रीय बजट में कोई राहत नहीं देकर मध्यम वर्ग के साथ मध्यम वर्ग को निराश किया है। केन्द्रीय वित्त मंत्री द्वारा प्रस्तुत बजट में एक बार फिर चुनावी वादे जैसी भी कई घोषणाएं हुई जिसमें 16 लाख बेरोजगारों को नौकरियां देने का वादा किया है लेकिन वे यह भूल गई कि चुनावों में इससे कई गुणा ज्यादा नौकरियां देने का वादा करके सत्ता में आई भाजपा सरकार नौकरियां देने में विफल रही है। पहले की अपेक्षा देश में बेरोजगारी बढी है। देश की जनता रोजमर्रा के सामान में कीमतों के कम होने की उम्मीदें भी लगाए बैठी थी लेकिन सरकार द्वारा प्रस्तुत बजट में किसी प्रकार की राहत नहीं देना भी बजट को निराशाजनक प्रस्तुत करता है। शिक्षा के क्षेत्र में भी केन्द्रीय बजट में विशेष रणनीति के तहत घोषणाओं का अभाव है। भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट के अनुसार केंद्र सरकार द्वारा शिक्षा, जैसे विशिष्ट उद्देश्यों के लिए उपकर के रूप में एकत्र किए गए 94,036 करोड़ रुपये अप्रयुक्त रहे हैं। ऐसे में सरकार के इस बजट से उम्मीद थी कि स्कूल की फीस और बच्चों की पढ़ाई के लिए कुछ गंभीरता दिखायेगी लेकिन बजट में एैसा कुछ नहीं हुआ। एलपीजी गैस सिलेण्डर हो या पैट्रोल, डीजल के दाम उसको लेकर भी कोई राहत नहीं दी गई है। वर्तमान परिस्थितियों में हर सैक्टर जिसमें लघु उद्योग क्षेत्र, रियल एस्टेट, हाॅस्पीटलिटी, रेलवे, टैक्सटाईल्स क्षेत्र आदि को उम्मीदें थी कि उन्हे विकट परिस्थितियों में केन्द्र सरकार से राहत मिलेगी लेकिन केन्द्रीय बजट में किसी भी क्षेत्र के सृजन व संरक्षण के लिए कोई प्रावधान नहीं किया गया है।