– छोटे व मझोले समाचार पत्रों, वेबसाइटों व चैनलों के सामने खुद व परिवार के जीवन यापन का खड़ा हो गया है संकट
बीकानेर ओम एक्सप्रेस -कोरोना संकट काल में पत्रकारों की सहायता के संदर्भ में अध्यक्ष राजस्थान श्रमजीवी पत्रकार संघ बीकानेर राजस्थान के अध्यक्ष ओम दैया ने श्री अशोक गहलोत मुख्यमंत्री राजस्थान सरकार को पत्र लिखकर कहा हैैं कि कोरोना संकट के इस काल में आपके व राजस्थान सरकार के जनकल्याणकारी कार्यों की देश व प्रदेश में सराहना हो रही है। प्रदेश वासियों के लिए इस दुष्काल में आपकी सेवा व कल्याणकारी नीतिगत फैसलों के लिए प्रशंसा के लिए शब्द भी कम हैं।उन्होंने कहा कि
राजस्थान में पत्रकारों समिति , प्रेस क्लब आदि दुष्काल में आपका ध्यान प्रदेश के पत्रकारों के सामने व्याप्त संकट की ओर दिलाना चाहती है।
प्रदेश मुख्यालय से लेकर जिला व तहसील स्तर पर पत्रकार इस महामारी के बीच अनवरत डटे रह कर अपना काम कर रहे हैं और प्रदेश सरकार के प्रयासों, कदमों, आदेशों की जानकारी जन जन के बीच पहुंचाने का काम कर रहे हैं। पत्रकार इस कठिन काल में कोरोना महामारी के प्रसार के उसी तरह आसानी से शिकार हो सकते हैं जिस तरह से स्वास्थ्यकर्मी, स्थानीय निकायकर्मी व सुरक्षा बल सहित अन्य आवश्यक वस्तुए उपलब्ध करा रहे लोग। इस दुष्काल में भी मोर्चे पर डटे रह कर अनवरत अपना काम कर रहे पत्रकारों के लिए हम आपसे निम्न उपायों व कल्याणकारी घोषणाओं की अपेक्षा करते हैं।
1. आपसे निवेदन है कोरोना महामारी के इस काल में कम से प्रदेश स्तर व जिला स्तर पर फील्ड में काम कर रहे पत्रकारों को अन्य आवश्यक कार्यों में लगे कर्मियों की भांति 50 लाख रुपये का बीमा कवर दिलवाने के सरकारी स्तर पर प्रयास किए जाएं। उक्त दुर्घटना बीमा कम से कम एक साल के करवाया जाए।
2. प्रदेश सरकार अविलंब शिविर लगाकर अथवा घर घर जाकर पत्रकारों की निशुल्क कोरोना टेस्टिंग करवाए ताकि उन्हें अपने स्वास्थ्य के संबंध में सही जानकारी हो सके।
3. निवेदन है कि कोरोना महामारी के चलते देशव्यापी लाकडाउन में पत्रकारों और खास कर छोटे व मझोले समाचार पत्रों, वेबसाइटों व चैनलों के सामने खुद व परिवार के जीवन यापन का संकट खड़ा हो गया है। प्रदेश व देश की सरकार ने समाज के सभी वर्गों व व्यावसायियों सहित कामगारों के भरणपोषण के लिए कुछ न कुछ राहत का एलान किया है। आपसे अनुरोध है कि छोटे व मझोले समाचार पत्रों, वेबसाइटों व चैनलों को इस कठिन काल में सरकारी स्तर पर विज्ञापनों के रुप में एक राहत पैकेज का एलान किया जाए जिससे उनके सामने भरण पोषण की समस्या न खड़ी हो।
4. जिला व तहसील स्तर सहित राज्य मुख्यालय पर कार्यरत श्रमजीवी पत्रकारों को आर्थिक सहायता के तौर पर एक निश्चित राशि के भुगतान की व्यवस्था समाज के अन्य वर्गों की तरह सीधे उनके बैंक खातों में सुनिश्चित की जाए।
आशा ही नहीं वरन विश्वास है कि आप सहृद्यता के साथ पत्रकारों की इन समस्यों पर विचार करते हुए उनके निराकरण का समुचित उपाय करेंगे।
पत्रकार साथी आपके आभारी रहेगे।