

बीकानेर।भारत सरकार ने अधिसूचना के माध्यम से कोविड उपचार प्रदान करने वाले अस्पतालों और अन्य चिकित्सा सुविधाओं के लिए आईटी अधिनियम की धारा 269 एसटी से छूट दी है अधिसूचना में आयकर अधिनियम की धारा 269 एसटी के तहत जुर्माना लगाने से राहत दी गई है
बीकानेर व्यापार उद्योग मंडल के संरक्षक कन्हैयालाल बोथरा अध्यक्ष रघुराज सिंह राठौड़ उपाध्यक्ष अनिल सोनी झूमरसा ने बताया कि उन्हें मिली सूचना के आधार पर
1-अप्रैल 2021 से 31-मई 2021 की अवधि के दौरान नगद में प्राप्त भुगतान से संबंधित है अस्पताल और अन्य केंद्र जो कोविड-19 एकबाल कर रहे हैं खुद को जुर्माना लगाने से बचा सकते हैं खुद को बचाने के लिए उन्हें रोगी और फीस डिपाजिटर दोनों से पेन और आधार कार्ड प्राप्त करना होगा तथा मरीज और फीस डिपाजिटर बीच संबंध पता करना होगा धारा 269 एसटी के अनुसार
रू.2.00.000/- से कम नगद प्राप्त क्यों के लिए कोई जुर्माना नहीं है यदि किसी करदाता द्वारा 2.00.000/
या अधिक की नगद राशि प्राप्त होती है जिसमें अस्पताल और चिकित्सा केंद्र शामिल है तो 100% का जुर्माना लगाया जाता है यह स्वागत योग्य है कि सरकार ने इस प्रावधान के दायरे से कोविड-19 रोगियों का इलाज करने वाले अस्पतालों आदि को छूट दी है यह महामारी के दौरान कोविड-रोगियो को राहत देगा. आयकर मामलों के विशेषज्ञ अधिवक्ता प्रत्यक्ष का समिति के अध्यक्ष और डायरेक्टर टैक्स प्रोफेशनल एसोसिएशन के प्रतिनिधि समिति के सदस्य ने कहा कि मेरे विचार में यह सरकार ऐसी गंभीर स्थिति में कोविड-रोगियो की मदद करने में भी अपनी मानसिक संकीर्णता दिखा रही है सबसे पहले पैन आधार कार्ड या इस तरह से भुगतान करने वाले रिश्तेदारों के विवरण जैसे कोई दस्तावेज नहीं मांगे जाने चाहिए यह गरीब और मध्यमवर्गीय व्यक्तियों के लिए बहुत सारी समस्याएं पैदा करेगा जो विभिन्न रिश्तेदारों और दोस्तों से इलाज के लिए पैसा इकट्ठा करते हैं या जो अस्पतालों में भुगतान के लिए अपने गहने जमीन इत्यादि भेजते हैं या गिरवी रखते हैं जो रिश्तेदार इलाज के लिए कोविड-19 की की मदद करते हैं वह शायद इसे देना पसंद ना करें क्योंकि धारा 285 बी के अनुसार इसको स्पेसिफाइड फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन के रूप में सूचित किया जाएगा यह भविष्य में ऐसे रोगियों उनके रिश्तेदारों या उनके उत्तराधिकारी यों के लिए परेशानी पैदा कर सकता है रिपोर्ट करने के बाद यदि आयकर विभाग द्वारा की जा रही जांच पर रोगी उन व्यक्तियों के विवरण प्रस्तुत करता है जिन्होंने नगद राशि उपचार के लिए दान के रूप में दी थी और जांच के समय स्वीकार करने से इंकार कर देते हैं अंत में आयकर अधिनियम की धारा 68 के अनुसार निर्धारित या उसका उत्तराधिकारी को उसके इलाज के लिए उसके द्वारा प्राप्त राशि पर कर का भुगतान करने के लिए उत्तरदाई होना होगा क्योंकि वह उस नगद को स्त्रोत को उचित साबित नहीं कर पाएगा।
