

-पेड है तो जल है, जल है तो जीवन है’’ हमारा जीवन शुद्ध पर्यावरण से ही है।
जयपुर,(दिनेश शर्मा “अधिकारी”)। विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, सचिव श्रीमती दीक्षा सूद द्वारा जिला कारागृह एवं जिला संप्रेषण एवं किशोर गृह तथा तालुका विधिक सेवा समितियों द्वारा झुंझुनं जिले में पौधारोपण कार्यक्रम का आयोजन किया। इस अवसर पर सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण झुंझुनूं श्रीमती सूद ने बताया कि पर्यावरण विषय पर आज नागरिकों को जागरूक करने एवं पर्यावरण संरक्षण से जुड़े सकारात्मक कार्य के लिए प्रेरित करने हेतु प्रति वर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। जलवायु, मिट्टी, पेड़ पौधे व पानी पर्यावरण के आधार है। यदि पर्यावरण है तो हम है। मनुष्य का जीवन पर्यावरण के सांचे में ढ़लकर ही संवरा है। धरती से मिट्टी, नदियों से पानी, सूरज से अग्नि, पहाड़ों से स्थिरता और हवा से प्राणवायु लेकर के ईश्वर ने मनुष्य के शरीर की रचना की है। एक स्वस्थ पर्यावरण ही पृथ्वी के असंख्य जीवों और मानवों को जीवन जीने योग्य वातावरण प्रदान करता है अतः हमें इसकी सुरक्षा एवं विकास के लिए हमेशा प्रयासरत रहना चाहिए। कोरोना महामारी के इस दौर ने हमें समझाया है कि हमारे जीवन के कपर्यावरण का क्या महत्व है। स्वच्छ पर्यावरण प्रत्येक प्राणी के जीवन के लिए आवश्यक है। कोरोना से जंग हम तभी जीत पायेंगे जब हम तभी जीत पायेंगे जब हम स्वच्छ पर्यावरण में प्रकृति के संग रहेंगे। पर्यावरण की पहली कड़ी मनुष्य है तथा मानव जाति को ही पर्यावरण के संतुलन बनाने की पहल करनी चाहिए। पर्यावरण को हमें अपने जीवन का संस्कार बनाना चाहिए तथा उसे बचाने के लिए वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। यदि हम प्रकृति की सुनेगें तो सदा स्वस्थ रहेगें। एक स्वस्थ शरीर स्वस्थ पर्यावरण से जुड़ा है। अतः हमें पेड़ लगाने चाहिए। एक पेड़ हमें 10 लोगों के लायक ऑक्सीजन सालभर में देता है। इसलिए अपनी सांसे बचाने के लिए आज एक पेड़ लगाये जो हमें प्राणवायु प्रदान करते है। इसलिए आज विश्व पर्यावरण दिवस के उपलक्ष में आप सब मिलकर ये शपथ ले की पेड़ लगाएंगे और पर्यावरण को बचायेंगे तथा संकल्प लें कि प्रकृति का संरक्षण एवं संवर्द्धन करेंगे। इस दौरान श्रीमती सूद द्वारा उपस्थित बंदीगण, किशोर एवं अन्य स्टाफ को लगाये गए वृक्षों को समय पर पानी देने एवं उनका बराबर ध्यान रखने की अपील कर कहा कि यदि हम पौधों को अपने परिवारजन के रूप में देखते है तो कुछ वर्षों में हमें स्वच्छ वायु के साथ ही स्वच्छ मन एवं तन भी प्राप्त होता है।