Corona Virus

बीकानेर, । इन दिनों दूर संचार विभाग की कार्यप्रणाली खुद सवाल खड़ा रही है। उपभोक्ताओं को आ रही समस्या का निजाद दिलवाने में अक्षम विभाग अपने कागजों में तो समस्याओं का निराकरण कर रहे हैं, परन्तु वास्तविकता में उपभोक्ताओं की सुनवाई हेतु उपस्थित नहीं है। ऑनलाईन शिकायत को भी रिपीट करने के बावजूद समस्या से निजात दिलवाना तो दूर, अधिकारियों को सुनवाई करने से परहेज है। ऑफिस के नंबर पर भी संपर्क नहीं हो पाता है, ऐसे में आखिर निराकरण मिले तो कहां। विभाग की ऐसी ही लचर व्यवस्था से एक वरिष्ठ उपभोक्ता का सामना हुआ।

वरिष्ठ उपभोक्ता राजाराम स्वर्णकार दूर संचार विभाग की कार्यप्रणाली से तंग आकर जिला दूर संचार अधिकारी एन. राम से मिलने गए। उनके पीए ने चैम्बर में फोन करके अधिकारी को वरिष्ठ नागरिक की टेलीफोन की समस्या के संबंध में जानकारी देते हुए कहा कि वरिष्ठ उपभोक्ता आपसे मिलना चाहते हैं। इस पर अधिकारी द्वारा कोविड महामारी के चलते किसी से नहीं मिलेंगे की बात कहे जाने पर पीए ने असहज होकर अन्य अधिकारी कटारिया जी से मिलने को कहा। उपभोक्ता ने उनसे सम्पर्क किया, वहां एजीएम आउटडोर इन्द्रसिंह जी को अपनी समस्या से अवगत करवाया। वरिष्ठ उपभोक्ता ने उन्हें बताया कि एक सप्ताह से मेरा ब्रॉडबैंड बंद है, जिसकी ऑनलाइन शिकायत दर्ज करवाई जाने उपरान्त 48 घंटे बाद दुबारा शिकायत दर्ज करवाई गई। तब अन्य नम्बर दिए गए, कागजों में फॉल्ट दूर होना बता दिया गया, जबकि शिकायत का निराकरण नहीं हुआ। इस संबंध में उपभोक्ता द्वारा जीएम, एसडीओ के नंबरों पर कई बार सम्पर्क भी किया गया, मगर फोन अटेंड नहीं हुआ। एजीएम आउटडोर ने उपभोक्ता की पूरी बात सुन शीघ्र ही समस्या से निराकरण का आश्वासन दिया।

सवाल यहां यह उठता है कि क्या अधिकारी अपने उपभोक्ताओं की बात सिर्फ कोविड महामारी के डर से नहीं सुनना चाहते। यदि उनके द्वारा या कार्यालय में समस्या का समय पर निराकरण मिल जाता तो क्या किसी उपभोक्ता को विभाग में यूं उपस्थिति दर्ज करवानी पड़ेगी। किसी अधिकारी का ऐसा रवैया कितना उचित है, सरकार को संज्ञान लेना चाहिए। अधिकारियों के सरकारी नंबर जनहित में जारी करने चाहिए, ताकि आम नागरिक सीधे अपनी समस्या बताकर समय पर उनका निराकरण करवा सकें।