■ओम माथुर■
क्या राजस्थान की भजन लाल सरकार ने मोदी की गारंटी को पूरा नहीं किया या उन्हें दिल्ली से ही ऐसा नहीं करने के निर्देश मिल गए थे। मामला राजस्थान में पेट्रोल-डीजल पर वैट की दरों को कम करने का था,जो देश भर में राजस्थान में सबसे ज्यादा है। राजस्थान में महंगे पेट्रोल- डीजल का मुद्दा भाजपा नेता चुनाव से पहले भी समय-समय पर उठाकर गहलोत सरकार पर लूट का आरोप लगाते थे। विधानसभा चुनावों के दौरान सभाओं में तो भाजपा नेताओं ने तेल की कीमतों का मुद्दा बनाया था। खुद प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी चुनाव सभाओं में तेल की कीमतों पर हमला करते हुए कहा था कि अगर भाजपा की सरकार आई तो कीमतों की समीक्षा के लिए कमेटी का गठन किया जाएगा और इन्हें गुजरात, उत्तरप्रदेश के समकक्ष लाया जाएगा। क्योंकि मोदी मुंह से निकली हर बात आजकल उनकी गारंटी के नाम से जानी जाती है और खुद मोदी सीना ठोककर कहते हैं कि गारंटी पूरा होने की गारंटी का नाम मोदी है।
ऐसे में लोगों को उम्मीद थी कि पेट्रोल और डीजल पर वैट घटाकर भजन सरकार लोगों को राहत दे सकती है, लेकिन लेखानुदान में हर वर्ग को कुछ ना कुछ राहत देने वाली सरकार सभी वर्गों को समान एवं बड़ी राहत पेट्रोल-डीजल की कीमतें कम करके नहीं दे सकी। अब कहा यह भी जा रहा है कि सरकार लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लागू होने से कुछ दिन पहले वैट कम कर सकती है,ताकि चुनाव तक इस राहत का असर दिख सके। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी की गारंटी पर भजनलाल सरकार की खामोशी क्यों? हो सकता है उसे मुद्दे पर दिल्ली से ही मुख्यमंत्री को भी कोई कदम नहीं उठाने के लिए कहा गया हो, क्योंकि बजट पेश होने से एक दिन पहले ही भजनलाल दिल्ली में थे।
देश के कईक्षराज्यों में पेट्रोल डीजल राजस्थान से 15-20 रुपए लीटर कम तक बिक रहा हैं। इसके चलते कई सीमावर्ती जिला में तो लोग पेट्रोल डलवाने गुजरात,हरियाणा और उत्तर प्रदेश चले जाते हैं। वैट से राज्य के खजाने में मोटी रकम आती है। इसलिए भाजपा ने चुनाव में इसकी दरों को निशाना तो बनाया, लेकिन जब उन्हें कम करने खुद की बारी आई तो खामोशी ओढ ली। सरकार बने हुए 2 महीने होने हो गए हैं,लेकिन इस मुद्दे पर कोई नहीं बोल रहा। ऐसे में मोदी की गारंटी पर कौन भरोसा करेगा जबकि अभी तो लोकसभा चुनाव में भाजपा को सबसे ज्यादा लोगों के भरोसे की ही दरकार है।