बीकानेर। स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय के खजूर फार्म में इस बार खजूर की बम्पर पैदावार हुई है। लगभग 600 पौधे खजूर के फलों से लदे हुए हैं। गुरुवार को इन फलों की नीलामी की जाएगी। कृषि अनुसंधान केन्द्र के क्षेत्रीय निदेशक डॉ. प्रकाश सिंह शेखावत ने बताया कि खजूर फार्म पर वर्तमान में 34 किस्मों पर अनसुंधान कार्य चल रहा है।

इनमें बरही, हलावी, खूनिजी तथा मेडजूल किस्में सर्वाधिक लोकप्रिय हैं। मेडजूल किस्म का उपयोग छुहारे बनाने में किया जाता है। खजूर के फलों में परिपक्वता की चार अवस्थाएं होती हैं। इन्हें गंडोरा, डोका, डेंग तथा पिंड अवस्थाएं कहा जाता है। बीकानेर में सामान्यतया डोका अवस्था में खजूर के फल तोड़े जाते हैं। उन्होंने बताया कि पिछले कुछ वर्षों से लोगों में खजूर के प्रति आकर्षण बढ़ा है।

जुलाई-अगस्त के दौरान इनकी भरपूर मांग रहती है। इसे देखते हुए विश्वविद्यालय द्वारा इस बार 20 जून को प्रात: 11 बजे खजूर फार्म में इन फलों की नीलामी की जाएगी।

माना जाता है पूर्ण आहार
खजूर फार्म प्रभारी डॉ. ए आर नकवी ने बताया कि आयुर्वेद के अनुसार खजूर मधुर, पौष्टिक, बलवर्द्धक, श्रमहाकर, पित्तनाशक, वीर्यवर्द्धक होता है। खजूर में विटामिन, प्रोटीन, रेशे, कार्बोहाइड्रेड और शर्करा होने के कारण इसे पूर्ण आहार कहा जाता है। इसी कारण उपवास के दिन भी ऊर्जा की आपूर्ति के लिए इसका उपयोग किया जाता है।


भरपूर मात्रा में होता है आयरन
वैज्ञानिक (उद्यान विभाग) डॉ. राजेन्द्र सिंह राठौड़ ने बताया कि खजूर में भरपूर मात्रा में आयरन होता है, जो शरीर में खून की कमी को दूर करता है। खजूर में मौजूद विटामिन बालों को मजबूत बनाते हैं तथा इसके नियमित उपयोग से झड़ते बालों की समस्या दूर हो जाती है। खजूर में पर्याप्त मात्रा में ग्लूकोज, फेक्ट्रोज और सुक्रोज पाया जाता है। इस कारण तुरंत ताकत के लिए खजूर का सेवन बेहद लाभदायक होता है। खजूर में कैल्सिमय, मैगनीज और कॉपर की मात्रा होती है। इसके सेवन से हड्डियों को मजबूती मिलती है।

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