-सख्त कानून के बाद भी नहीं लग रहा बाल श्रम पर अंकुश

बिहार(सुपौल)-ओम एक्सप्रेस ब्यूरों-मौसम बदलने के साथ सबकुछ बदल रहा है, हमारे और आपके बच्चे स्कूल जा रहे हैं, वे परीक्षाएं दे कर आगे की कक्षाओं में जाएंगे और कुछ बन जाएंगे,मगर दो जून की रोटी का जुगाड़ करने वाले बाल श्रमिकों की दिनचर्या नहीं बदल रही। उन्हें तो वही मुंह अंधेरे उठना और रोजी-रोटी के लिए निकलना है।जिले के त्रिवेणीगंज प्रखण्ड क्षेत्र में बाल मजदूरी पर सख्त कानून व विभाग के प्रयासों के बाद भी कोई अंकुश नहीं लग पा रहा है।

हर साल सैकड़ों बच्चे बाल मजदूरी के जाल में फंस रहे हैं। जो बच्चे के शारीरिक, मानसिक, नैतिक स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए घातक है। बाल श्रम को रोकने के लिए बाल श्रम विभाग बनाया बनाया गया है। लेकिन विभाग बच्चों का शोषण पर पूर्ण रूप से अंकुश नहीं लगा पा रहा है। कुछ बच्चे परिवार के पालन- पोषण तो कुछ जबरन बाल मजदूरी के जाल में फंसते जा रहे हैं। हर वर्ष 12 जून को विश्व बाल श्रम निषेध दिवस मनाया जाता है। इस दिन बड़ी- बड़ी बातें की जाती हैं। योजनाओं और नियमों का हवाला देते हुए बाल श्रम को जड़ से खत्म करने की लोग कस्में लेते हैं। लेकिन इसके बाद पूरे वर्ष कहीं कुछ नजर नहीं आता है। होटलों, ढाबों और दुकानों और घरो में बाल श्रमिकों का शोषण जारी रहता है।जबकि बाल श्रम विभाग बाल मजदूरी उन्मूलन पर लगाम लगाने का दम भर रहा है। वास्तविकता यह है कि आज भी इस दिशा में बाजार सहित ग्रामीण क्षेत्र में चल रहे बाल मजदूरी प्रथा की रोकथाम के लिए कोई समुचित कार्यवाही नहीं की जा सकी है। जिसके कारण बाल मजदूरों की संख्या में निरंतर बढ़ती ही जा रही है। टाबों व होटलों में 10 से 14 वर्ष तक के बाल मजदूर अपने हाथ मे जूठा बर्तन धोते लोगों के बीच खाना, परोसते दिखाई पड़ते हैं।

लेकिन, इन बाल मजदूरों पर जिममेदार अधिकारियों की तनिक भी नजर नहीं है। ताज्जुब तो तब होता है जब ये बाल मजदूर टैपू व ओवरलोड जीपों पर सवारी तथा डंपरों को लेकर क्षेत्र में खुलेआम चलते है।लिहाजा प्रशासनिक उदासीनता के कारण क्षेत्र में बाल मजदूरों की संया दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। बाल श्रम विभाग का दावा है की जिले में बाल मजदूरी प्रथा को किसी हाल में बढ़ने नहीं दिया जाएगा। छापेमारी अभियान चलाकर काफी बाल मजदूर को मुक्त कराया गया है। आगे भी छापेमारी अभियान जारी रहेगा। किसी भी दुकान, प्रतिष्ठान आदि पर बाल मजदूर मजदूरी करते पाए गए तो उन संचालकों पर कड़ी से कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।