बीकानेर। खसरा-रुबैला टीकाकरण अभियान के सफल संचालन के बाद अब इन रोगों की केस आधारित निगरानी प्रणाली अपनाई जाएगी जो कि पहले आउटब्रेक आधारित थी। पहले किसी क्षेत्र में 4 सप्ताह में 5 केस निकल जाते थे तो उसे आउटब्रेक मानकर केस फोलो अप किया जाता था जिसके स्थान पर अब प्रत्येक केस का फॉलो अप शुरू होगा। खसरा-रुबैला का टीका बच्चों-किशोरों को 2 जानलेवा बीमारियों से बचाता है देश में 2020 तक देश खसरे (मीजल्स/ओरी) को हमेशा के लिए समाप्त करने और रुबैला व जन्मजात रूबेला सिंड्रोम (सीआरएस) को नियंत्रित करने का लक्ष्य निर्धारित है। जुलाई-अगस्त माह में एमआर का टीका 9 माह से 15 वर्ष तक के व कक्षा 10 तक के सभी बच्चों को निःशुल्क लगाया गया था। पूरे देश की बात करें तो 32 करोड़ से ज्यादा बच्चों-किशोरों को प्रतिरक्षित किया जा चुका है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के सहयोग से बुधवार को स्थानीय होटल में आयोजित कार्यशाला में डब्ल्यूएचओ की एसएमओ डॉ कीर्ति पटेल ने केस बेस्ड सर्विलांस के साथ खसरा-रुबैला के क्लिनिकल व लैब आधारित निदान की तकनीकी जानकारी दी। सीएमएचओ डॉ बी.एल. मीणा ने प्रत्येक केस को चिन्हित करवाने और उसके फॉलो अप की पुख्ता व्यवस्था के निर्देश दिए। उन्होंने बुखार के साथ शरीर पर लाल चकते जैसे लक्षण वाले प्रत्येक बच्चे को चिन्हित करने में आशा-एएनएम की बड़ी भूमिका रेखांकित की। आरसीएचओ डॉ रमेश गुप्ता ने बताया कि देश के 32 राज्यों में केस बेस्ड सर्विलांस शुरू होने के बाद राजस्थान व सिक्किम में भी शुरू किया जा रहा है इससे खसरा के उन्मूलन और रुबैला के नियंत्रण में के लक्ष्य हासिल करने में मदद मिलेगी। कार्यशाला में मेडिकल कॉलेज प्रतिनिधि, जिला व खण्ड स्तरीय अधिकारी तथा सीएचसी-पीएचसी प्रभारी शामिल हुए।
सघन मिशन इन्द्रधनुष टीकाकरण कार्यक्रम 2 दिसम्बर से
नियमित टीकाकरण से छूट जाने वाले बच्चों व गर्भवतियों तक पहुंचकर उन्हें 10 जानलेवा बीमारियों से प्रतिरक्षित करने के लिए सघन मिशन इन्द्रधनुष टीकाकरण अभियान 2.0 को 2 दिसंबर से चलाया जाएगा ताकि सम्पूर्ण टीकाकरण के कवरेज को 90 प्रतिशत के स्तर तक लाया जा सके। आईएमआई प्रथम अक्टूबर 2017 से जनवरी 18 तक चलाया गया था। अभियान के तहत ऐसे क्षेत्रों का चिन्हीकरण कर विशेष टीकाकरण सत्र आयोजित किए जाएंगे जहां टीकाकरण का प्रतिशत बहुत कम है और जिसे नियमित टीकाकरण द्वारा बढ़ाना मुश्किल है। कार्यशाला के दौरान यूएनडीपी के संभागीय कार्यक्रम अधिकारी योगेश शर्मा ने स्पष्ट किया कि प्रत्येक आईएमआई सत्र में समस्त प्रकार की वैक्सीन व लोजिस्टिक्स की व्यवस्था करनी है। इसके लिए आवश्यक वैक्सीन का समय रहते स्टॉक कर लिया जाए। अभियान के नोडल अधिकारी आरसीएचओ डॉ रमेश गुप्ता ने आईएमआई की पुख्ता माइक्रोप्लानिंग करने, उपलब्ध मानव संसाधनों को सही दिशा में निवेशित करने व जरूरत पड़ने पर अतिरिक्त संसाधनों को जोड़ने, शहरी क्षेत्र पर विशेष फोकस करते हुए महिला आरोग्य समितियों का सक्रिय सहयोग लेने तथा कच्ची बस्तियों व घूमंतू श्रमिक समूहों को अभियान में शामिल करने के निर्देश दिए। डॉ कीर्ति पटेल ने सही हैड काउंट के आधार पर ड्यू लिस्ट तैयार करने, समय-समय पर वेलिडेशन करने व हाई रिस्क क्षेत्रों को शामिल करते हुए टीकाकरण स्थलों का त्रुटिरहित चिन्हीकरण करने की बात कही।
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