

जयपुर(हरीश गुप्ता)। देसी कहावत है, ‘खाई नहीं तो ढुलाई सही’ वैसे इसका मतलब है, ‘खुद के खाने ना मिले तो बिखेर दो’। कुछ की सोच होती है, ‘हम तो डूबेंगे सनम, तुमको भी ले डूबेंगे’ राज्य के एक काबीना मंत्री शायद इसी सोच पर चल रहे हैं। ऐसा हम नहीं कह रहे, बल्कि चर्चाएं जोरों पर हैं।
गौरतलब है रीट, आरएएस, थानेदार आदि की भर्तियों को लेकर राज्य का नौजवान बेरोजगार बड़ा चिंतित भी है और परेशान भी। लगभग हर भर्ती में खेल करने वाले निकले तो कोचिंग सेंटर वाले या उनके मिलने वाले। कुछ की बिल्डिंगों पर तो सरकारी बुलडोजर भी चलाना पड़ा। कुल मिलाकर निजी कोचिंग वाले (गिनती वालों को छोड़कर) नौजवानों की आंखों में खटक रहे हैं।
जानकारी के मुताबिक धोरो वाले स्वादिष्ट जिले से आने वाले काबीना मंत्री मंगलवार को एक मंदिर महंत के साथ एक कोचिंग सेंटर की सेमिनार का उद्घाटन करने गए।। उनका जाना राजनैतिक गलियारों में बड़ा चर्चित विषय बना हुआ है। लोग चर्चा कर रहे हैं, ‘कोचिंग वालों के चक्कर में नौजवान गुस्साए बैठे हैं। फिर भी मंत्री जी क्यों गए?’ कुछ का कहना है, ‘मंत्री जी की विधानसभा से इस बार टिकट कट रहा है और उन्हें स्थान परिवर्तन कराना पड़ेगा।’ ‘…मंत्रीजी इसलिए जानबूझकर ऐसा कर रहे हैं जिससे पहले ही ‘काम‘ लगा दें।’ ‘एक अन्य नेता ने उनके विधानसभा क्षेत्र में होडिंर्ग्स भी लगवा दिए हैं।’ ‘…टिकट दूसरी जगह से मिलने की संभावना के कारण मंत्रीजी ने सरकारी बंगला भी खाली कर दिया है।’
सूत्रों की मानें सचिवालय के गलियारों में चर्चाएं जोरों पर हैं, ‘निजी कोचिंग सेंटर वालों से नेताओं के संबंध बड़े मधुर होते हैं।’ ‘…पूर्व में जब गोपालपुरा बायपास से कोचिंग सेंटर को हटाने के दिशा निर्देश दिए जा रहे थे, तब भी जयपुर के एक काबीना मंत्री ने सरकार के इस निर्णय का पुरजोर विरोध किया था।’ चर्चाएं हैं कोचिंग माफियाओं का परीक्षा कराने वाली संस्थाओं से गहरा गठजोड़ है। इसी बात से नौजवान त्रस्त है।
सवाल खड़ा होता है प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जरूरतमंद युवाओं के लिए अनुप्रीति कोचिंग योजना लागू कर रखी है। ये काबीना मंत्री उस योजना के लिए तो कोई कार्यक्रम में नहीं गए? सवाल यह भी खड़ा होता है, ‘सरकार ने चुनावी घोषणा पत्र में कोचिंग माफियाओं और निजी विश्वविद्यालय पर लगाम के लिए एक्ट लाने की घोषणा की थी, क्या सरकार भूल गई? वैसे भी सत्र पूरा होने को आ रहा है।
