– नोटरी पब्लिक संजीव धींगड़ा को दस साल पुराने मामले में किया गिरफ्तार
श्रीगंगानगर,( ओम एक्सप्रेस )।विवादित दस्तावेजों को प्रमाणित करने पर सदर पुलिस ने एक अधिवक्ता को धोखाधड़ी के आरोप में कल शाम गिरफ्तार कर लिया। यह अधिवक्ता नोटरी पब्लिक है। इसने दस साल पहले एक पक्ष की ओर से पेश किए गए दस्तावेज को प्रमाणित किया था। दूसरे पक्ष के लोगों ने पहले पक्ष के लोगों और अधिवक्ता संजीव धींगड़ा के खिलाफ मामला दर्ज कराया था। इस प्रकरण की जांच चल रही है।
इस बीच सदर पुलिस ने बुधवार शाम को इस अधिवक्ता को आईपीसी की धारा 420 में गिरफ्तार कर लिया। अधिवक्ता का कहना था कि इस प्रकरण के मुख्य आरोपी को पुलिस ने हाईकोर्ट से स्थनादेश लाने तक छूट दे दी। जबरन गिरफ्तारी की सूचना मिलते ही अधिवक्ताओं ने सदर थाने का घेराव कर लिया। वकील ने इस अधिवक्ता को बिना शर्त रिहाई की मांग करते हुए अड़ गए। रात ग्यारह बजे पुलिस अधीक्षक राजन दुष्यंत ने सदर थाना में आकर वकीलों से वार्ता की। इस दौरान आश्वासन दिया गया कि अब किसी भी अधिवक्ता को सीधा गिरफ्तार नहीं किया जाएगा।इसके लिए बकायदा बार संघ की ओर से गठित कमेटी को सूचना दी जाएगी।
संबंधित आरोपी अधिवक्ता को थाने की बजाय राजकीय जिला चिकित्सालय में उपचार के लिए भर्ती कराया गया। इस संबंध में पूर्व अध्यक्ष भूरामल स्वामी का कहना था कि एसपी के आश्वासन दिया है-एेसे में यह धरना अब स्थगित किया जाता है।
इससे पहले बुधवार रात नौ बजे बार संघ के पूर्व अध्यक्ष चरणदास कम्बोज, बार कौसिंल ऑफ राजस्थान के सदस्य नवरंग चौधरी, पूर्व सचिव सीताराम बिश्नोई, पूर्व उपाध्यक्ष प्रदीप धेरड़, जिन्दपालसिंह भाटिया, राजेश ग्रेवाल, प्रदीप कासनियां, भावना स्वामी आदि वकीलों ने थाना परिसर में ही धरना लगाकर पुलिस के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी।पूर्व अध्यक्ष कम्बोज का कहना था कि इस प्रकरण में पुलिस की जांच निष्पक्ष नहीं है। सीआई हनुमानाराम बिश्नोई ने जानबूझकर अधिवक्ता को गिरफ्तार किया है जबकि नियमानुसार मुख्य आरोपी की तरह अधिवक्ता को भी अपना पक्ष रखने के लिए समय दिया जाना चाहिए था। इलाके की पुलिस भ्रष्टाचार में पहले से ही लिप्त थी और अब यह तो सरेआम उजागर भी हो गया है।
उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस अधीक्षक की संरक्षण में सीआई बिश्नोई मनमानी पर उतर आया है तो उसका मुकाबला अब अधिवक्ता खुद करेंगे।
वहीं अन्य अधिवक्ताओं का कहना था कि एडवोकट एक्ट में प्रावधान भी है और सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश जारी कर रखा है कि किसी भी अधिवक्ता की गिरफ्तारी की जानी है तो पहलेबार संघ अध्यक्ष को सूचना देनी होगी। लेकिन सीआई बिश्नोई ने इस प्रावधानों के तहत प्रक्रिया नहीं अपनाई है।
अधिवक्ता सीताराम बिश्नोई ने सीआई पर गंभीर आरोप लगाए। उनका कहना था कि जिस प्रकरण की जांच की जा रही है, उसका मुख्य आरोपी तो हाईकोर्ट से स्टे लेकर घर बैठा है। अन्य आरोपियों में अधिवक्ता को शामिल करते हुए उसे गिरफ्तार कर लिया।
बिश्नोई ने बताया कि अधिवक्ता धींगड़ा ने संबंधित दस्तावेज को उस समय प्रमाणित किया जब दस्तावेज पर दो गवाहों ने साइन किए थे। पुलिस को गवाहों या दस्तावेज बनाने वाले को आरोपी बनाना चाहिए था, लेकिन पुलिस ने नोटरी पब्लिक धींगड़ा को ही आरोपी बनाते हुए गिरफ्तार कर लिया।
सीआई से जब अधिवक्ताओं की ओर से पांच सदस्य मिलने गए तब खुद की गलती मानी लेकिन गिरफ्तारी होने के बाद वापस बिना शर्त रिहाई की मांग पर मुकर गए।