-वैज्ञानिक युग में भी अंधविश्वास कायम
-कोरोना पर भाड़ी त्रिवेणीगंज में अंधविश्वास की यारी.
बिहार(सुपौल)-ओम एक्सप्रेस ब्यूरों-कोरोना वायरस के फैलते संक्रमण के चलते देश में उत्पन्न संकट के वक्त हमारे तौर तरीकों और आचरण ने यह साबित कर दिया है कि हिन्दुस्तान में वैज्ञानिक दृष्टिकोण के बजाय अंधविश्वास और धार्मिक रीति रिवाज कितने हावी हैं कोरोनाबंदी में ग्रामीण महिलाओं में फैले अंधविश्वास की हकीकत से आज आपको रूबरू कराते हैं।देश में इस समय कोरोनाबंदी है सभी कोरोना से जंग लड़ रहे हैं करीब विश्व के 110 मेडिकल रिसर्च संस्था कोरोना की दवाई की खोज में जुटे हैं लेकिन अभी तक कोरोना का एक भी मेडिसिन तैयार करने में किसी ने सफलता हासिल नहीं की है इधर भारत में भी लगातार कोरोना संक्रमण घटने का नाम नहीं ले रहा है दिनों दिन इसके संक्रमितों की संख्या में भाड़ीइजाफा हो रहा है इस समय सम्पूर्ण भारत पूर्णतः लॉकडाउन हो कर कोरोना संक्रमण की चेन तोड़ने की जुगत में है तो वहीं ठीक इसके विपरीत सुपौल के त्रिवेणीगंज प्रखंड क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में महिलाओं के बीच अंधविश्वास बढ़ रहा है।ग्रामीण महिलाएं कोरोना से लड़ने के लिए तरह तरह देशी तरीके अपना रही हैं इनमें अंधविश्वास दिनों दिन बढ़ता हीं जा रहा है।
कोरोना को लेकर एक तरफ स्वास्थ्य विभाग कई तरह के गाइडलाइन जारी कर रहे है तो वहीं दूसरी ओर कोरोनाबंदी में कोरोना को भगाने के लिए प्रखंड के ग्रामीण इलाकों में महिलाओं के बीच अंधविश्वास देखा जा रहा है महिलाएं समूह बना कर नदी किनारे पहुँच कर चूड़ा-दही कोशी के नाम से चढ़ाती है और दीप भी कोशी के नामों की जलाती है।महिलाओं में ऐसी अकल्पनीय मान्यता है कि कोशी सातों बहन इस समय अलग अलग है जिस वजह से ऐसी स्थिति देश में आई है पूजा कर रही महिलाओं ने यह भी बताई की हमलोग इन सातों बहनों की पूजा कर मनाने की जुगाड़ में लगे हैं ताकि जल्द से जल्द देश से कोरोना का कहर समाप्त हो जाए।इस हास्यास्पद कहानी के आगे अंधविश्वास के सराबोर में डूबी महिलाओं में लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंस का जड़ा भी ख्याल नहीं है इन्हें जड़ा भी डर नहीं है इनकी इन नादानी से किसी भी प्रकार की अनहोनी भी हो सकती है तो वहीं प्रशासन भी इन हरकतों से अंजान बने हुए हैं प्रशासन को इनकी भनक तक नहीं है कि झुंड की झुंड ये महिलाएं लॉकडाउन औऱ सोशल डिस्टेंस की धज्जियां उड़ाते प्रतिदिन नदी किनारे अपने मन में अंधविश्वास की भावना लिए कोशी नदी की पूजा करने त्रिवेणीगंज स्थित बधला नदी पहुँचती है इनलोगों के लिए नियम व कानून कोई मायने नहीं रखता।चाँद औऱ मंगलग्रह पर कदमताल कर रहे वैज्ञानिक युग में भी इस तरह का अंधविश्वास कायम रहना भी वाकई चिंता का विषय है।इस संवेदनशील मुद्दे पर जन जागरूकता के लिए न तो सरकार चिंतित है और न हीं स्वयं सेवी संस्थाएं सक्रिय दिख रही है।इस तरह के अंधविश्वास से एक बात तो साफ है कि इनके बीच जागरूकता का पूर्णतः अभाव है कोरोना को लेकर ये जागरूक नहीं है औऱ न हीं इन्हें कोरोना को लेकर किसी भी प्रकार के वैज्ञानिक औऱ चिकित्सकीय कारणों के संबंध में इन्हें कोई जानकारी है। सभी बातों से अनभिज्ञ अंधविश्वास में डूबी इन ग्रामीण महिलाओं में जागरूकता की कमी है।