-10 दिनों तक होगी सिद्ध भगवानों की आराधना

जयपुर। रविवार से देशभर में नवरात्रे का पावन अवसर की मंगल शुरुवात हो चुकी है, केवल मंदिरों में ही बल्कि करोड़ों घरों में भी धर्मानुसार पूजा-अर्चनाओं का आयोजन होगा। राजधानी जयपुर में आचार्य सौरभ सागर महाराज के सानिध्य में एवं पंडित संदीप जैन सेजल के निर्देशन में भट्टारक जी नसियां, नारायण सर्किल पर रविवार से 10 दिवसीय 256 मंडलीय सिद्धचक्र महामंडल विधान पूजन एवं विश्व शांति महायज्ञ का आगाज हुआ। जिसकी शुरुवात प्रातः 6.30 बजे से देव और गुरु आज्ञा लेकर घटयात्रा निकाली गई। इसके पश्चात मंत्रोच्चारण के साथ धर्म ध्वजारोहण कर पंडाल उद्धघाटन, पंडाल व मंडप शुद्धि संस्कार हुए।

आयोजन अध्यक्ष आलोक जैन तिजारिया और कार्याध्यक्ष कमलेश जैन बावड़ी वालों ने बताया की रविवार को आचार्य सौरभ सागर महाराज के सानिध्य में प्रातः 8.15 बजे से श्रीजी का कालशाभिषेक, शांतिधारा की गई और विधानाचार्य को निमंत्रण देकर पूज्य गुरुवर को सानिध्य प्रदान करने को लेकर श्रीफल भेंट किया। प्रातः 8.45 बजे आचार्य श्री ने सभा को संबोधित करते हुए अपने आशीर्वचन दिए एवं सिद्धचक्र महामंडल विधान पूजन के महत्व को बताया साथ ही जैन धर्म नवरात्रों का क्या महत्व है उसकी भी जानकारी दी। इसके बाद पंडित संदीप जैन के निर्देशन में सकलिकरण, जपयानुष्ठान, इंद्रों और मंडप की प्रतिष्ठा, मंगल कलश और अखंड दीप ज्योति की स्थापना की गई है। इसके बाद प्रातः 10.30 बजे से विधान पूजन प्रारंभ हुआ और लगभग 11.30 बजे पहले दिन की पूजन का विसर्जन किया गया।

मुख्य समन्वयक चेतन जैन निमोडीया और मंत्री मनीष वैद ने जानकारी देते हुए बताया की सोमवार को सुबह 6.30 बजे कालशाभिषेक और शांतिधारा होगी। प्रातः 7.30 बजे से विधान पूजन प्रारंभ होगा एवं प्रातः 8.30 बजे आचार्य सौरभ सागर महाराज के मंगल प्रवचन होगे। सायं कालीन सत्र में श्रीजी की मंगल आरती, गुरुदेव की आरती के साथ विभिन्न सांस्कृतिक आयोजन एवं आनंद यात्रा का आयोजन होगा। आयोजन स्थल पर 22 अक्टूबर आचार्य सौरभ सागर जी महाराज के 53 वें अवतरण दिवस की तैयारी भी चल रही है, इस दिन देशभर से 5 हजार से अधिक श्रद्धालुगण जयपुर पहुंच रहे है और गुरुदेव का अवतरण दिवस मनाएंगे। जिसको लेकर आयोजन समिति ने विभिन्न कार्यक्रम तैयार किए है जो 22 अक्टूबर को आयोजित होगे।
-इन्हे मिला प्रमुख 26 इंद्र बनने का सौभाग्य
10 दिवसीय महोत्सव में प्रमुख सौभाग्यशाली इंद्र सोधार्म इंद्र सौम्या राहुल पाटनी, कुबेर इंद्र सुप्रिया शिखरचंद जैन सरसोप वाले, श्रीपाल मेनासुंदरी इंद्र मुन्नी देवी नरेंद्र सोगानी, महायज्ञ नायक इंद्र रूक्मणी, कमलेश, प्रमोद, उत्तम जैन बावड़ी वाले, यज्ञ नायक इंद्र रमेश माया जैन तिजारिया, चक्रव्रती इंद्र कुशल मधु ठोलिया, विधान सामग्री पुण्यार्जक शांति कुमार ममता सोगानी, ध्वजारोहण जीसी विशल्या देवी बड़जात्या, पांडाल उद्धघाटन रेणु, मोहित नमिता राणा, अखंड दीप ज्योति प्रवज्जलनकर्ता संजय सरोज गोधा एवं जिनवाणी स्थापनकर्ता संजय डॉ शालू जैन को बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।