फतेहगढ़। दीपो का त्योहार दीपावली का चहल-पहल से लेकर शहर एवं ग्रामीण क्षेत्र के इलाकों तक में शुरू हो गयी है। लोग अपने-अपने घरों में दीपावली मनाने की तैयारी में जुटे हैं। वहीं कुम्हार दीपक एवं पूजा-पाठ के लिए मिट्टी का बर्तन हाड़ी, कलश आदि बनाने में भी रात-दिन एक किए हुए हैं। दिवाली का यह पर्व दीपों का त्यौहार माना जाता है। जहां दीपक कि रोशनी के साथ सुख और समृद्धि की लोग कामना करते हैं। वहीं कुम्हार दीपक और पूजा-पाठ के लिए मिट्टी का कलश, खिलौने आदि बनाने में भी रात-दिन एक किए हुए हैं और शीघ्रता से अपना कार्य पूरा करने में जुट गए हैं। कुम्हार समाज में अधिक से अधिक दीये बनाकर बेचने की होड़ लगी हुई है। कुम्हारों को इस बार दिए और खिलौने की बिक्री तेज होने की उम्मीद है।
मिट्टी के बर्तन बनाने वाले फतेहगढ़ से मुकेश कुम्हार ने बताया कि यह हमारा पुश्तैनी धंधा है। इसी से जीविका चलती है। लेकिन अब बाजार में रंगीने लाइटे आ गई है। जिससे लोगों ने दीयों का उपयोग कम कर दिया है। फिर भी आस है कि इस दिपावली पर उनके दियों की अधिक बिक्री होगी। दीपावली से पहले बिक्री बहुत कम रहती है। लेकिन दीपावली पर होने वाली बिक्री का इंतजार रहता है। इस बार दिवाली पर दियों की मांग बढ़ने की उम्मीद है। जिसे देखते हुए दिये बनाये जा रहे है। रंगीन लाइटों से घर सजाया जा सकता है। लेकिन पूजा पाठ, धार्मिक अनुष्ठान के लिए दियों का ही उपयोग किया जाता है। इसे देखते हुए दिया बनाने के काम में तेजी आई है। सामान्य दिया से लेकर रंग बिरंगे आकर्षक डिजाइन के दीपक भी तैयार किये जा रहे है।