देश के अन्य हिस्सों में भी ऐसी घटनाएं लगातार हो रही हैं। अकेले उत्तर प्रदेश में सीतापुर में ही एक सप्ताह में इन कुत्तों ने छह मासूम बच्चों का शिकार किया जिनमें से दो बच्चों की मौत हो गई । यह तो केवल चंद उदहारण है पर यह कहानी देश के हर कस्बे की है | ऐसी भी खबरें आ रही हैं कि कई जगह कुत्तों के डर से लोग बच्चों को घर से नहीं निकलने दे रहे। देश के हर शहर में एंटी रैबीज दवाओं की अचानक मांग बढ़ गई है।शहरों में आवारा कुत्ते पकड़ने की जिम्मेदारी नगर निगम की होती है लेकिन, निगम कुत्ते पकड़ने और उनकी नसबंदी करने के नाम पर औपचारिकता करता है। ज्यादातर जगहों पर तो यह अभियान ही बंद है। कुत्तों को पकड़ने के लिए मामूली ही सही बजट का भी प्रावधान है लेकिन, निगम कर्मचारी संसाधनों का अभाव व टीम की कमी का रोना रोते हैं।
आवारा कुत्तों का आतंक चल रहा है । हालाकि कई बार इसकी शिकायत महानगर पालिका के अधिकारियों को की है पर इसका निराकरन नहीं होता । मासूम बच्चों को अगर कुत्ते खाने लगें तो वह समाज सभ्य कहलाने का अधिकार खो देता है। कुत्ते काटने का इंजेक्शन लेने के लिए पीड़ित महानगर पालिका के अस्पताल में ही जाता है क्योंकि वहाँ इसका मुफ्त इलाज होता है ,पूरे आंकड़े महानगर पालिका को मिलते है कि रोजाना कितने लोगों को कुत्ते काटते है पर विभाग सुस्त है । उसके अफसर दावा भी करते हैं कि कुत्ते पकड़ने की कार्रवाई लगातार जारी है लेकिन, बढ़ती हिंसक घटनाएं उनके दावों की पोल खोल रही है। ये घटनाएं अनोखी हैं और सरकार की कार्यकुशलता की परीक्षा ले रही हैं। नगर निगम का यह तर्क भी ठीक है कि कुत्तों को पकड़ने के बाद उन्हें रखा कहां जाए। यह चिंता तो सरकार को ही करनी होगी। आवारा कुत्तो के काटने कि घटनाएँ दशकों से हो रही , जिसकी रोकथाम के लिए अब तक लाखों रुपये खर्च हो चुके है । कुछ समय पूर्व हमने एक बड़े अधिकारी को इसकी शिकायत भी दी थी । उन्होने बताया कि हम कुत्तो को मार तो सकते नहीं , हा उनको पकड़ कर उनकी नसबंदी कर उन्हें वापस आपकी गली में छोड़ सकते है पर मैंने कभी किसी कुत्ता गाड़ी को कुत्ता पकड़ते हुये नहीं देखा है । यदि मनपा इस काम में असफल रहती है तो मनपा को पीड़ित का मुफ्त इलाज कराने के साथ कम से कम एक लाख मुवावजा देने का प्रावधान करना चाहिए | राज्यों व् केंद्र की सरकारों को भी संग्यान लेना चाहिये
बावजूद नसबंदी के नए कुत्ते के पिल्ले कहाँ से आ जाते है । लोगो को भोंकना , काटना इसके अलावा मल – मूत्र द्वारा ये सड़क , बस्ती को भी खराब करते है । पहले तो इनका आतंक सड़कों तक था पर अब ये सोसायटी और सोसायटी के बाद घरों में भी घुस आते है । महानगर पालिका द्वारा इनकी रोकथाम आवश्यक है । इसके अलावा घरू पालतू कुत्तों से भी लोगों को परेशानी है ।आम लोगों का रास्ते अथवा सार्वजनिक जगह पर थूकने पर महानगर पालिका द्वारा निर्धारित जुर्माना चुकाना पड़ता है पर घरू पालतू कुत्तों को घूमाने के बहाने लोग रास्ते में अथवा सार्वजनिक स्थान पर मल-मूत्र करवाते है वो कहाँ तक जायज है । महानगर पालिका को इसके लिए भी कानून बनाना चाहिए । घरू पालतू कुत्तो के लिए लाइसेन्स लेना आवश्यक होना चाहिए व साफ सफाई के भी कुछ माप – दंड है , वही कानून हर जगह लागू होना चाहिए ।
अ/001 वैंचर अपार्टमेंट ,वसंत नगरी, वसई पूर्व ( जिला – पालघर )
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