बीकानेर।जैनाचार्य श्री ज्ञानचंद्र जी म सा ने अरिहंत भवन में उपस्थित जनसमूह को समझाया कि छात्ता बारिश को रोक तो नहीं सकता पर खड़े रहने का साहस देता है।
वैसे ही आपका पुण्य कर्म आपके निकाचित कर्मों के उदय को रोक नहीं सकता पर उनको भोगने का साहस जरूर देता है।
लोग बहुत सोचते हैं कि इतना धर्म कर लिया, तपस्या कर ली पर दुःखों का अंत नहीं हो रहा । उन्हें यह समझ नहीं है कि वो धर्म, कितने कर्म तोड़ रहा हैं । निकाचित कर्म भले न टूटे पर वो तुम्हें टूटने नहीं देगा ।
कर्मों के उदय भाल को भोगने के लिए आप में शक्ति और साहस बनाए रखेगा ।
जिस प्रकार भगवान महावीर के कानों में खीले ठोके गए तो ठोके ही गए क्योंकि निकाचित कर्म का उदय था लेकिन उन्हें निकाचित कर्म भोगने का इतना सामर्थ्य प्राप्त हो गया कि वे उन कर्मों को भोग कर मुक्तिगामी हो गए।
छात्ता कौन सा है? जो बचा सके, वो छात्ता है भगवान की देशना।
भगवान की देशना सोच को सही बनाती है । सोच सही तो सब सही ।
अगर सोच खराब हुई तो डिप्रेशन जैसे रोग आपको घेर लेंगे।
मन पर कंट्रोल करने का एक सरल उपाय है- जो भी मन में विचार उठे वो किसी न किसी को कह दें जिससे धीरे-धीरे मन पर कंट्रोल हो जाएगा ।
आज तन पर और वचन पर तो कंट्रोल करने के उपकरण आ गए हैं । अब मन पर कंट्रोल होना शुरू होने की खोज जारी है ।
आचार्य जी ने आगे समझाया कि- पहले संत बोलते थे कि 7 कुव्यसन का त्याग करों।
अब सरकार इससे दूर रहने की हिदायत दें रही है । पहले इसे सिर्फ धर्म समझा जाता था अब ये चीजें वैश्विक स्तर पर समझी जा रही है कि- जुआ, शराब, चोरी, परस्त्रीगमन, वैश्यागमन, मांसाहार और शिकार इनसे दूर रहा जाए
सरकार आपकी सोच पर कंट्रोल करें, उससे पहले आप धर्म समझकर अपनी सोच पर कंट्रोल कर लीजिए इस कार्यक्रम से निरंतर जुड़े हुए
राजेश गोयल शविता गोयल सनोज लुणावत शर्मिला लुणावत मोजूद थे।