_निर्दलीय कैंडिडेट्स को मनाने पर जोर, निहारिका बोली- मेरे घरवालों पर भी पार्टी का प्रेशर

जयपुर।राजस्थान यूनिवर्सिटी छात्रसंघ चुनाव में मंगलवार को कई रंग देखने को मिले। ABVP के दो उम्मीदवारों के नामांकन रद्द होने से जहां हंगामा हुआ तो वहीं निर्दलीय चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों को मनाने की कोशिशें भी होती रहीं। अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ रही मंत्री मुरारी लाल मीना की बेटी निहारिका जोरवाल हाथ जोड़ते और पैर पकड़ते नजर आईं।

निहारिका जोरवाल ने NSUI का टिकट नहीं मिलने पर अध्यक्ष पद के लिए निर्दलीय नामांकन दाखिल किया है। निहारिका ने अध्यक्ष पद के निर्दलीय उम्मीदवार प्रताप भानु मीणा को मनाने की खूब कोशिश की। नहीं माने तो पैरों में पड़ कई बार नामांकन वापस लेने की अपील की। जब प्रताप भानु नहीं माने तो डीएसडब्ल्यू ऑफिस पहुंची उनकी बहन कोमल के पैर पकड़ लिए। इस दौरान वह लगातार रो भी रही थीं।

प्रताप भानू मीणा को नामांकन वापस करने की मिन्नतें करतीं निहारिका जोरवाल।
प्रताप भानू मीणा को नामांकन वापस करने की मिन्नतें करतीं निहारिका जोरवाल।
निहारिका के समर्थक ने पकड़ा प्रत्याशी का गला
बार-बार कोशिश के बावजूद नहीं मानने पर निहारिका के समर्थक नरेश मीणा ने गुस्से में प्रताप भानू से हाथापाई शुरू कर दी। इससे नाराज प्रताप ने आखिरी समय तक अपना नामांकन वापस नहीं लिया। हालांकि मनाने की एक और कोशिश में निहारिका ने प्रताप भानू की बहन कोमल को भी समझाने और मनाने की कोशिश की। निहारिका लगातार गिड़गिड़ाती रहीं।

नामांकन वापस नहीं लेने पर निहारिका जोरवाल समर्थक नरेश मीणा ने प्रताप भानु मीणा का गला पकड़ लिया।
नामांकन वापस नहीं लेने पर निहारिका जोरवाल समर्थक नरेश मीणा ने प्रताप भानु मीणा का गला पकड़ लिया।
निहारिका और भानु एक ही वर्ग के
निहारिका एसटी वर्ग से आती हैं। ऐसे में NSUI और ABVP के प्रत्याशियों को भी टक्कर दे रही हैं। इस बीच प्रताप भानू के चुनाव लड़ने से एसटी वर्ग के वोटरों के खिसकने का डर भी है। नामांकन फाइनल होने के बाद अब वोटर चार धड़ों में बंट गए हैं। एक तरफ रितु बराला के पास NSUI का टिकट है। दूसरा धड़ा ABVP का है। तीसरा निहारिका जोरवाल और चौथा धड़ा निर्दलीय निर्मल चौधरी का है।

प्रताप भानु बोले- जान से मारने का डर
भानु प्रताप बोले- मेरे ऊपर दबाव बनाया जा रहा है। मंत्री मुझ पर दबाव बना रहे हैं। मुझे जान से मारने तक का डर है। मेरे कार्यकर्ताओं पर प्रेशर बनाया जा रहा है। क्या चुनाव लड़ने का अधिकार केवल उन्हीं के पास है? मैं भी छात्रों के लिए साल 2018 से सक्रिय हूं। मेरे साथियों के कहने पर मैं चुनावी मैदान में उतरा हूं। यूनिवर्सिटी हमारा घर है। यहां जातिवाद शोभा नहीं देता।

निहारिका का कहना है कि उनके परिवार पर भी कांग्रेस पार्टी प्रेशर बना रही है।
निहारिका का कहना है कि उनके परिवार पर भी कांग्रेस पार्टी प्रेशर बना रही है।
निहारिका बोली- मेरे घरवालों पर भी प्रेशर
चुनाव नहीं लड़ने के लिए पार्टी का प्रेशर आ रहा है। मेरे घरवालों पर भी दबाव है। छात्र मुझे चुनाव लड़वाना चाहते हैं, इसलिए मैं मैदान में हूं। केवल जातिवाद के नाम पर चुनाव लड़वाया जा रहा है। टिकट भी ऐसे ही समीकरण देखकर दिए गए हैं। कोई ये नहीं देख रहा कि मैं कितनी मेहनत कर रही हूं।

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