एक प्रयोग के तौर पर ऐसा करना चाहिए कि हर विभाग पर एक जनता निगरानी कमेटी हो जिसमें जनता की ओर से सदस्य हो, और वे स्थाई नहीं हो, सदस्य बदलते रहना चाहिए ताकि सेटिंग का कोई काम ना हो सके। और उस कमेटी ने एक रिपोर्ट बनाकर विजिलेंस, सीबीआई, लोक आयोग, लोकायुक्त, इकोनामिक ऑफेंस जैसे कई विभाग वहां पर रिपोर्टिंग चली जाए और वही है उस पर एक्शन तय हो। अभी हालात यह है कि कहीं-कहीं तो आप उच्च अधिकारी को शिकायत करते हैं तो वे कार्रवाई करते हैं परंतु उच्च अधिकारी तक पहुंच अपने आप में आम आदमी के लिए बहुत बड़ा पहाड़ा जितने बराबर है। आम आदमी की हालत यह है कि वह ना तो विधायक, मंत्री कलेक्टर, कमिश्नर, सेक्रेटरी, ज्वाइंट सेक्रेट्री, चीफ सेक्रेटरी, चीफ मिनिस्टर और अन्य गणमान्य तक मिल भी नहीं पाता है। कई विभागों में आप यदि कोई लेटर देंगे तो उसे इनवर्ट करने से मना कर देंगे। वह आपको कहेगे कि पहले साहब से मिलो। जनता हर जगह थकी हुई है कहीं-कहीं ठगी हुई है और अपनी हालत पर रोती हुई है। जब निगरानी कमेटी हो जाएगी तो कंस्ट्रक्शन के काम भी अच्छे होंगे, विभागों में काम अच्छे होंगे और एक सुचारू व्यवस्था बन जाएगी। हालांकि यह एक सपने जैसा है पर उम्मीद है कभी तो सपना साकार होगा।
अशोक मेहता, इंदौर (लेखक, पत्रकार, इंजीनियर)

