हरियाणा विधानसभा चुनाव के मतदान के बाद आए लगभग सभी एग़्जिट पोल ने बीजेपी की आसान जीत बातई है. लेकिन जाने क्यों हरियाणा के लोगों को यह बात हजम नहीं हो रही है. लोग लगातार गुणा-भाग में लगे हैं और अलग अलग नतीजों पर पहुंच रहे हैं. राज्य के उन इलाक़ों में बैचेनी ज़्यादा है जहां जाट आबादी का दबदबा है लेकिन यह बैचेनी अहीरवाल यानि गुड़गांव, रेवाड़ी और महेंद्रगढ़ के इलाक़ो में भी कम नहीं है. उधर फ़रीदाबाद, बल्लभगढ़ और बल्लभगढ़ में लोगों का कहना है कि कुल 9 सीटों में से बीजेपी को सिर्फ़ 2 सीटों पर स्पष्ट बढ़त नज़र आ रही है, बाक़ी सभी सीटों पर बहुत नज़दीकी लड़ाई है.

हरियाणा के अलग अलग हिस्सों में लोग ज़मीन पर जिस तरह की चर्चा कर रहे हैं उससे लगता है कि इंडिया टुडे-एक्सिस माई इंडिया पोल का अनुमान परिणामों के क़रीब हो सकता है. इस एग्जिट पोल में हरियाणा में त्रिशंकु विधानसभा का अनुमान पेश किया गया है. इसका मतलब यह हुआ कि राज्य में सत्ताधारी पार्टी बीजेपी को बहुमत नहीं मिल रहा है. इस पोल ने बीजेपी को राज्य में 32-44 सीट मिलने का अनुमान बताया गया है. जबकि कांग्रेस पार्टी को 30-42 सीटें मिलने का अनुमान बताया गया है. इस स्थिति में जननायक जनता पार्टी यानि जेजेपी का रोल अहम हो सकता है. इंडिया टुडे के पोल ने जेजेपी को 6-10 सीटें दी हैं.

अब राज्य में चर्चा इस सवाल पर हो रही है कि अगर यह अनुमान सटीक बैठते हैं तो सरकार कौन बनाएगा. अल्पमत को बहुमत में बदलने के मामले में बीजेपी ने महारत हासिस कर ली है. लेकिन उसके बावजूद हरियाणा में चर्चा है कि अगर बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही सत्ता से दूर रह जाते हैं और जेजेपी की मदद से सरकार बन सकती है तो सरकार कांग्रेस की बनेगी. इस थ्योरी में यक़ीन करने वालों की नज़र में एसी सूरत में भूपेंद्र सिंह हुड्डा को मुख्यमंत्री बनना चाहिए और दुष्यंत चौटाला को उप मुख्यमंत्री.

हरियाणा में ज़्यादातर लोगों का मानना है कि जेजेपी का बीजेपी के साथ जाना बेहद मुश्किल होगा. इसकी वजह है उसका जाट जनाधार.

पानीपत से नरेन्द्र मलिक ने कहा “बीजेपी ने राज्य की राजनीति को जाट बनाम ग़ैर जाट की राजनीति में बांट दिया है. जाटों को लगता है बीजेपी ने जानबूझ कर उन्हे बदनाम किया है. सो इस चुनाव में ज़्यादातर जाट बीजेपी के ख़िलाफ़ हैं. जेजेपी अगर बीजेपी के साथ जाती है तो जाट उसे कभी माफ़ नहीं करेंगे.”

रोहतक से प्रदीप चौधरी कहते हैं ,“अगर किसी को बहुमत नहीं मिलता और चाबी दुष्यंत के पास आती है तो उस सूरत में उनको भूपेंद्र सिंह हुड्डा का समर्थन करना चाहिए. अगर वो बीजेपी के साथ जाने की बात करेंगे तो ना सिर्फ़ जाट उनसे नाराज़ होगा, उनके विधायकों पर पार्टी छोड़ने का दबाव बनेगा.”

सोनीपत से सुनिता चाहर कहती हैं, “मुझे लगता है हरियाणा में हर पांच साल में सरकार बदलने का सिलसिला चलता रहेगा और इस बार भी सरकार बदलेगी, ज़रूरत पड़ने पर हुड्डा और दुष्यंत को साथ आना ही चाहिए”.